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अर्क की रूई के बने तकिया को लगाने से माइग्रेन में मिलती है राहत

मदार(आक) आदमी की ऊंचाई से भी अधिक बढ़ने वाला झाड़ी प्रकार का पौधा है। इसकी पत्तियां स्निग्ध, मांसल सी और कोमल होती हैं। तोड़ने पर दूध सा स्राव निकलता है, जिसे लोग विषैला बताते हैं। आयुर्वेद के जानकार...

अर्क की रूई के बने तकिया को लगाने से माइग्रेन में मिलती है राहत
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीWed, 12 Jul 2017 07:37 PM
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मदार(आक) आदमी की ऊंचाई से भी अधिक बढ़ने वाला झाड़ी प्रकार का पौधा है। इसकी पत्तियां स्निग्ध, मांसल सी और कोमल होती हैं। तोड़ने पर दूध सा स्राव निकलता है, जिसे लोग विषैला बताते हैं। आयुर्वेद के जानकार डॉ. पीसी प्रसाद के मुताबिक मदार मुख्यत: दो प्रकार का होता है। एक प्रकार में पुष्प एकदम श्वेत होते हैं। पत्तियां कुछ छोटी तो पौधा वृक्ष सा आकार लेता हुआ होता है। दूसरे प्रकार में पत्तियां अपेक्षाकृत बड़ी, पौधा छोटा और पुष्प बैगनी रंगत लिए होता है। 

संस्कृत में मदार को 'अर्क' के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ सूर्य भी होता है। प्रात: बेला में सूर्य की किरणों से नहाए इसके श्वेत पुष्पों को देखने से इस संज्ञा की सार्थकता सिद्ध हो जाती है। यह पौधा तमाम औषधीय गुण रखता है और नानियों, दादियों का प्रिय रहा है। इसके फल जब पक कर बीज प्रसारण के लिए चिटकते हैं तो उनसे रूई निकलती है। इस रूई से बने तकिये को लगा कर सोने से 'अधकपारी' शिरोपीड़ा में लाभ होता है।

महादेव की पूजा में इसके पुष्पों का प्रयोग होता है। भाँग और धतूरा की तरह ही औघड़दानी शिव ने इस सर्वहारा पौधे पर भी अपनी कृपा रखी है। शिव से सम्बद्ध और पौधों की तरह ही टोटका वग़ैरह में भी इसका प्रयोग होता है।

मदार के दूध में रूई की बाती भिगोकर यदि उस बाती को जलाकर अन्जन बनाया जाए तो वो अन्जन नेत्रज्योतिवर्धक और विभिन्न प्रकार के नेत्रविकारों में रामबाण औषधि का काम करता है।


नोट : इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य व सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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