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Hindi Newsशोध: केकड़े के खोल में मौजूद एक विशेष पदार्थ बचाएगा मलेरिया से

शोध: केकड़े के खोल में मौजूद एक विशेष पदार्थ बचाएगा मलेरिया से

केकड़े की खोल मलेरिया के वाहक मच्छरों का प्रसार रोकने में कारगर हो सकती है। यह दावा किया है उन शोधकर्ताओं ने, जो पर्यावरण के अनुकूल इस चीज का भारत में सफलतापूर्वक परीक्षण कर चुके हैं।

Rahul.kumarएजेंसी,बीजिंगMon, 15 May 2017 06:43 PM

खोल से बनाया घोल :

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शोधकर्ताओं ने कहा, हमने केकड़े की खोलों और चांदी के सूक्ष्मकणों को मिलाकर एक घोल तैयार किया है। इससे मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के प्रसार को रोकने में मदद मिल सकती है। नेशनल ताईवान ओशन यूनिवर्सिटी के जियांग शियो हवांग ने कहा, इस घोल को मलेरिया के वाहक एनोफीलीज सनडाइकस मच्छर की आबादी पर प्रभावी तरीके से अंकुश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि इसका गोल्डफिश जैसे मच्छरों के प्राकृतिक दुश्मनों पर इसका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता। 

अध्ययन
-केकड़े की खोल में पाया जाता है चिटोसान या चिटिन नामक एक गैर विषाक्त पदार्थ
-चिटिन व चांदी के सूक्ष्म कणों से बना घोल मच्छरों की आबादी रोकने में प्रभावी है
 
चिटिन का इस्तेमाल :   
यह विशेष घोल तैयार करने वाले शोधकर्ताओं में तमिलनाडु की भारतियार यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ भी शामिल थे। उन्होंने चिटोसान या चिटिन नामक पदार्थ को लिया, जिसका इस्तेमाल घावों के उपचार और जैविक रूप से नष्ट होने वाली खाद्य पदार्थों की पैकेज कोटिंग के लिए किया जाता है। यह एक गैर विषाक्त प्राकृतिक पदार्थ है, जो केकड़ा समेत आर्थोपॉडा समूह के तमाम जीवों के बाह्य कंकालों, पक्षियों की चोंचों और कीड़ों के अंडों में पाया जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा, चिटिन को आसानी से रासायनिक रूप से बदला जा सकता है। यह बेहद प्रभावी है। यह प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है इसलिए इसका इस्तेमाल करना सस्ता भी पड़ेगा। 
 

कोयंबटूर में किया प्रयोग : 

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शोधकर्ताओं ने चिटिन प्राप्त करने के लिए केकड़ों की खोलों का इस्तेमाल किया। पहले उन्होंने केकड़ों की खोलों का चूरा बनाकर सुखाया। इस चूरे को छानने से उन्हें सफेद रंग का एक पदार्थ मिला, जो वास्तव में चिटिन था। इसको उन्होंने सिल्वर नाइट्रेट के साथ मिलाया जिससे सिल्वर सूक्ष्मकणों का भूरा-पीला घोल तैयार हुआ। इस घोल को कोयंबटूर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्यूनिकेबल डीसीजेज में पानी के छह बांधों पर छिड़का गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि चिटिन की कम मात्रा के बावजूद यह बेहद प्रभावी तरीके से मच्छरों के लार्वा और प्यूपा को मारने में कारगर रहा। 

पर्यावरण के अनुकूल
शोधकर्ताओं ने कहा, चिटन से बने घोल का मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा के विकास के शुरुआती चरणों में यह बेहद प्रभावी साबित हुआ है। शोधकर्ताओं ने मीठे पानी की मछलियों पर इस घोल के संभावित प्रभाव का आकलन करने के लिए भी प्रयोग किया। गोल्डफिश मच्छरों के लार्वा पर पलती है। लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि चिटिन का घोल केवल मच्छरों के लार्वा को खत्म करता है। इसका मछली पर कोई असर नहीं पड़ा। इससे साफ हुआ कि यह घोल पर्यावरण के अनुकूल और गैर-विषाक्त है। यह अध्ययन ‘हाइड्रोबायोलोजिया’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

चिटिन क्या है
चिटिन पॉलिसेकेराइड से मिलकर बना एक रेशेदार पदार्थ है। यह आर्थोपोडा समूह के जीवों के बाह्य कंकाल में पाया जाता है। पॉलिसेकेराइड एक प्रकार कार्बोहाइड्रेट है जिसके कणों में एक दूसरे बंधे कई शर्करा अणु होते हैं।

चिटिन और चांदी के सूक्ष्म कणों को मिलाकर बनाया गया घोल बीमारी फैलाने वाले बेसिलस सबटिलिस, एस्चेरिशिया कोली, क्लेबिसेला न्यूमोनिया और प्रोटीस वल्गरिस जैसे बैक्टीरिया को भी रोकता है।