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सेहत :आर्टिफिशियल स्वीटनर दिल के लिए घातक, मोटापे का खतरा

खाने-पीने की चीजों में कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल करना सेहत के लिए भारी पड़ सकता है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि कृत्रिम मिठास दिल की बीमारियों, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने का खतरा बढ़ा...

सेहत :आर्टिफिशियल स्वीटनर दिल के लिए घातक, मोटापे का खतरा
टोरंटो, एजेंसियांMon, 17 Jul 2017 07:40 PM
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खाने-पीने की चीजों में कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल करना सेहत के लिए भारी पड़ सकता है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि कृत्रिम मिठास दिल की बीमारियों, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने का खतरा बढ़ा देता है।  

मोटापे का जरिया :  
कनाडा की मानिटोबा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि कई लोग स्वस्थ रहने के मकसद से चीनी की जगह कृत्रिम मिठास (आर्टिफिशियल स्वीटनर) का इस्तेमाल करते हैं। वे नहीं जानते कि कृत्रिम मिठास के इस्तेमाल से वजन बढ़ने और मोटापे की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। ये चीजें आगे चलकर दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। 

उपापचय पर असर :
शोधकर्ताओं के अनुसार, आजकल कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। जिन कृत्रिम मिठास का व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है उनमें एस्पार्टेम, सुक्रलोज और स्टेविया प्रमुख हैं। अध्ययन से पता चला कि कृत्रिम या पोषणरहित मिठास लोगों के उपापचय पर नकारात्मक असर डालता है। यह आंतों में मौजूद बैक्टीरिया और भोजन करने की इच्छा पर विपरीत प्रभाव डालता है। उपापचय जीवों में जीवन को बनाए रखने वाली आवश्यक रासायनिक प्रक्रिया है।  

दीर्घकालिक प्रयोग से खतरा : 
व्यक्ति के वजन और दिल की सेहत पर कृत्रिम मिठास के दीर्घकालिक प्रभावों को जानने के लिए शोधकर्ताओं ने 37 शोधों की सिलसिलेवार समीक्षा की। इन शोधों में लगभग 10 वर्ष की अवधि के दौरान चार लाख लोग शामिल किए गए थे। इनमें से केवल सात शोध ऐसे थे जिनमें 1003 लोगों को औसतन छह महीने के लिए शामिल किया गया था। इन्होंने स्पष्ट किया कि कृत्रिम मिठासों के इस्तेमाल से शरीर के वजन में कमी नहीं आती। जबकि दीर्घकालिक शोधों से पता चला कि कृत्रिम मिठास के लंबे समय तक इस्तेमाल से वजन और मोटापा बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। इससे दिल की बीमारियों, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने समेत सेहत संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है।  

वजन काबू करने में नाकाम : 
मानिटोबा यूनिवर्सिटी के सहायक प्राध्यापक रयान जारीचंस्की ने कहा, लाखों लोग नियमित रूप से अपने खानपान में कृत्रिम मिठास का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इस बड़ी तादाद के मुकाबले कुछ ही लोग चिकत्सकीय जांच के मौके पर इन उत्पादों के इस्तेमाल की बात कबूल करते हैं। उन्होंने कहा, हमारे चिकित्सकीय परीक्षण से इसकी स्पष्ट पुष्टि नहीं हुई कि कृत्रिम मिठास वजन को नियंत्रित रखने में कारगर हैं। जबकि इन्हें वजन को नियंत्रित करने वाला बताया जाता रहा है। यह अध्ययन कनाडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल (सीएमएजे) में प्रकाशित हुआ है।

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