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बड़ी कामयाबी: कोमल ऊतकों से बनाया गया कृत्रिम रेटिना

शोधकर्ताओं ने पहली बार कोमल ऊतकों वाला ऐसा एक कृत्रिम रेटिना बनाया है, जिसकी मदद से वे लोग भी दुनिया देख सकेंगे जिनकी आंखों में रोशनी नहीं है। अब तक कृत्रिम रेटिना का निर्माण केवल सख्त पदार्थों से ही...

बड़ी कामयाबी: कोमल ऊतकों से बनाया गया कृत्रिम रेटिना
लंदन, एजेंसियां,नई दिल्ली,Fri, 05 May 2017 10:18 PM
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शोधकर्ताओं ने पहली बार कोमल ऊतकों वाला ऐसा एक कृत्रिम रेटिना बनाया है, जिसकी मदद से वे लोग भी दुनिया देख सकेंगे जिनकी आंखों में रोशनी नहीं है। अब तक कृत्रिम रेटिना का निर्माण केवल सख्त पदार्थों से ही होता रहा है। 

प्रत्यारोपण में आमूल बदलाव :
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा, यह रेटिना या दृष्टिपटल बायोनिक प्रत्यारोपण उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इससे ऐसी नई और अनुकूल तकनीकों का विकास करने में मदद मिलेगी जो मानव शरीर के ऊतकों के ज्यादा समान होंगी। इससे आंखों की गंभीर बीमारियों का उपचार करने में मदद मिलेगी। बायोनिक उन वस्तुओं या तकनीक को कहते हैं जिनमें जीववैज्ञानिक ओर विद्युतीय, दोनों अवयवों का इस्तेमाल किया जाता है।

पानी व प्रोटीन का कमाल :
शोधकर्ता वेनेसा रेस्ट्रेपो-स्चिल्ड की अगुआई में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस रेटिना का निर्माण किया है। उन्होंने कहा, इस रेटिना या दृष्टिपटल का निर्माण स्वच्छ जल की बूंदों (हाइड्रोजेल) और जैववैज्ञानिक कोशिकाओं की झिल्ली के प्रोटीन से किया गया है। यह दो स्तरों वाला है। इसकी रूपरेखा किसी कैमरे की तरह बनाई गई है। इसमें लगी कोशिकाएं पिक्सल की तरह काम करती हैं। वे रोशनी को खोजकर उस पर प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे श्वेत-श्याम तस्वीर का निर्माण होता है। 

आंखें कैसे देखती हैं :
फोटोग्राफी जिस तरह रोशनी के प्रति कैमरा पिक्सल की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है, रेटिना पर निर्भर हमारी आंखों की दृष्टि भी ठीक उसी तरह कार्य करती है। रेटिना हमारी आंखों के पिछले हिस्से में होता है। इसमें प्रोटीन कोशिकाएं होती हैं, जो रोशनी की किरणों को विद्युतीय संकेतों में बदल देती हैं। जब हम कोई चीज देखते हैं तो उससे टकराकर लौटी किरण रेटिना तक आकर विद्युतीय संकेत में बदल जाती है। ये विद्युतीय संकेत तंत्रिका प्रणाली के जरिये दिमाग तक पहुंचते हैं, जिन पर दिमाग प्रतिक्रिया करता है। इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप आखों द्वारा देखे गए दृश्य की तस्वीर बन जाती है। वास्तव में देखने की यही प्रक्रिया होती है।     

असल रेटिना की तरह कारगर : 
शोधकर्ता वेनेसा ने कहा, हमारे द्वारा विकसित रेटिना काफी हद तक कुदरती रेटिना की कार्य प्रक्रिया का अनुकरण करता है। इसमें इस्तेमाल किए गए कृत्रिम पदार्थ विद्युतीय संकेतों का निर्माण करते हैं। ये संकेत हमारी आंखों के पीछे अवस्थित तंत्रिकाओं को उसी तरह उत्तेजित कर देते हैं, जिस तरह कुदरती रेटिना करता है। शोधकर्ताओं ने कहा, अभी तक कृत्रिम रेटिना बनाने में सख्त पदार्थों का इस्तेमाल होता रहा है। लेकिन नए रेटिना में कुदरती और जैविक रूप से अपधिटत होने वाली सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। यह पहला मौका है जब प्रयोगशाला के वातावरण में जैववैज्ञानिक और कृत्रिम ऊतकों को सफलतापूर्वक विकसित किया गया।  यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है।  

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