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हेल्थ टिप्स: जैतून के तेल से अल्जाइमर की बीमारी रहेगी दूर

कच्ची घानी का जैतून तेल याददाश्त और सीखने की क्षमता को ठीक बनाए रखने और मस्तिष्क को अल्जाइमर की बीमारी से बचाने में सहायक हो सकता है। एक नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है।   अमेरिका की टेंपल...

हेल्थ टिप्स: जैतून के तेल से अल्जाइमर की बीमारी रहेगी दूर
एजेंसी,वाशिंगटनSat, 24 Jun 2017 08:03 PM
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कच्ची घानी का जैतून तेल याददाश्त और सीखने की क्षमता को ठीक बनाए रखने और मस्तिष्क को अल्जाइमर की बीमारी से बचाने में सहायक हो सकता है। एक नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है।  

अमेरिका की टेंपल यूनिविर्सटी स्थित लेविस कात्ज स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया कि आहार में कच्ची घानी के जैतून तेल को शामिल करना याददाश्त के लिए अच्छा है। उन्होंने जैतून तेल में एक खास तत्व की पहचान की जो संज्ञानात्मक क्षमता में क्षरण से बचाने में कारगर हो सकता है। कच्ची घानी का अथवा एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल उसको कहते हैं जो सीधे जैतून को पेरकर निकाला जाता है और उसमें कोई अन्य प्रक्रिया या किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता।  
 
शोधकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि कच्ची घानी के जैतून तेल का उपभोग मस्तिष्क में एमीलॉयड-बेटा की परत और न्यूरोफाइबरीलरी टैंगल (एनएफटी) के निर्माण को नियंत्रित करता है। ये दोनों प्रोटीन अल्जाइमर बीमारी के प्राथमिक निर्माता माने जाते हैं। शोधकर्ताओं ने उस प्रक्रिया की पहचान भी की जिसके जरिये कच्ची घानी का जैतून तेल मस्तिष्क को अल्जाइमर की बीमारी से बचाता है। 

प्रमुख शोधकर्ता डोमेनिको प्रैटिको ने कहा, हमने पाया कि जैतून तेल मस्तिष्क में सूजन और प्रदाह को कम करता है। लेकिन इससे भी ज्यादा अहम तरीके से वह ऑटोफैगी प्रक्रिया को चालू कर देता है। ऑटोफैगी वह प्रक्रिया है जिसके जरिये कोशिकाएं टूटकर अपने अंदर जमा खतरनाक चीजों को बाहर कर देती हैं। इन चीजों में एमीलॉयड-बेटा की परत और न्यूरोफाइबरीलरी टैंगल शामिल हैं। 

प्रैटिको ने कहा, अध्ययन के तहत कुछ चूहों को कच्ची घानी के जैतून तेल से भरपूर आहार दिया गया। फिर उनके मस्तिष्क की कोशिकाओं की जांच की गई। देखा गया कि उन कोशिकाओं में ऑटोफैगी की प्रक्रिया उच्च स्तर पर हो रही है। जबकि एमीलॉयड-बेटा की परत और फॉस्फोराइलेटेड टाउ के निर्माण में काफी गिरावट आई है। फॉस्फोराइलेटेड टाउ, न्यूरोफाइबरीलरी टैंगल के लिए जिम्मेवार होता है जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं को निष्क्रिय करने में भूमिका निभाता है, जिससे अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है। 
 
यह अध्ययन फिलहाल चूहों पर किया गया है, जिसके नतीजे काफी उत्साहजनक रहे हैं। इसकी रिपोर्ट जर्नल एनल्स ऑफ क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित की गई है।

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