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रिकॉर्ड संख्या में वोट से वंचित रहे मतदाता

रिकार्ड ‘लो’ वोटिंग के बीच रिकार्ड संख्या में वोट देने से वंचित रहे मतदाता। यही इस बार के संसदीय चुनाव की खासियत रही। ग्रामीण इलाकों में तो फिर भी स्थिति कुछ ठीक। वहां जाने-पहचाने लोग थे और थे जाने...

 रिकॉर्ड संख्या में वोट से वंचित रहे मतदाता
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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रिकार्ड ‘लो’ वोटिंग के बीच रिकार्ड संख्या में वोट देने से वंचित रहे मतदाता। यही इस बार के संसदीय चुनाव की खासियत रही। ग्रामीण इलाकों में तो फिर भी स्थिति कुछ ठीक। वहां जाने-पहचाने लोग थे और थे जाने पहचाने बूथ। लेकिन शहरी क्षेत्रों में चिलचिलाती धूप और हलक सुखाती गर्मी के बीच बड़ी संख्या में मतदाता अपना नाम और बूथ खोजते नजर आए। हैरान परशान हाारों मतदाताओं ने प्रशासन को कोसेते हुए घर की राह पकड़ी तो कुछ दूसर बूथों पर अपना नाम ढूंढ़ते रहे। आलम यह है कि अब अभी भी जिले में 28 फीसदी ऐसे मतदाता हैं, जिनका वोटर आई कार्ड नहीं बना है।ड्ढr ड्ढr इस बार ज्यादा गड़बड़ी परिसीमन के कारण हुई है। जिले में अभी तक 13 विधानसभा क्षेत्र थे, जो बढ़कर 14 हो गए। इसके कारण कई विधानसभाओं के आकार और चौहद्दी में बदलाव हुआ है। राजधानी में तीन विधानसभा सीटें थीं, जो अब चार हो गयी हैं। इसके कारण सैकड़ों बूथ बदल गए। साथ ही हाारों की संख्या में वोटर कार्ड में नाम, पता, उम्र आदि की भयंकर गलतियां पायीं गई। सात मई को वोटिंग के दिन ऐसी गड़बड़ियों से संबंधित सैकड़ों की संख्या में वोटरों के फोन हिन्दुस्तान हेल्पलाइन में आए। हाारों मतदाताओं के नाम बिना उन्हें सूचना दिए काट दिए गए। लोग वोटर कार्ड लेकर बूथों का चक्कर लगाते रहे और मतदाता सूची से उनका नाम ही गायब था। मतदाता सूची में संशोधन का काम पिछले साल अगस्त में शुरू हुआ, जो इस साल अप्रैल तक चला। लेकिन वोटरों की उदासीनता और प्रशासनिक स्तर पर हुई चूक के कारण सूची बनाने का काम तय समय पर पूरा होने के बावजूद न तो इसे त्रुटिरहित बनाया जा सका और न ही शत प्रतिशत वोटरों को आईकार्ड देने का काम पूरा किया जा सका। रही सही कसर वोटर कार्ड बनाने में लगी फर्मोँ ने पूरी कर दी। हालांकि इस दौरान बूथों पर तीन राउंड फोटोग्राफी हुई और आखिरी चरण में अपार्टमेंटों में भी फोटोग्राफी करायी गई, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुई। 20 दिसंबर से शुरू हुई फोटोग्राफी के दौरान करीब छह लाख लोगों के पहचान पत्र बनाए गए। एक अनुमान के मुताबिक करीब 50 से 60 हाार पहचान पत्रों में गड़बड़ी पायी गई। साथ ही कई हाार मतदाता भी हैं, जिनका कार्ड उन्हें नहीं मिल पाया। इसका दायित्व बीएलए और बीएलओ को दी गई थी, जिन्होंने अपना काम पूरी मुस्तैदी से नहीं किया।ड्ढr ड्ढr दूसरी ओर प्रशासन का दावा है कि इसमें पूरी परदर्शिता बरती गई। पटना सदर एसडीओ रावी रंजन ने बताया कि नाम काटने से पहले सभी मतदाताओं को नोटिस दी गई। उन्होंने बताया कि करीब 55 हाार लोगों को स्पीड पोस्ट के जरिए इसकी सूचना दी गई और जिन मतदाताओं की ओर से कोई जबाव नहीं आया उनका ही नाम काटा गया है। नाम गलत व अन्य गड़बड़ियों के संबंध में उन्होंने कहा कि यह अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है और संबंधित बीडीओ के कार्यालय में फार्म भरकर ऐसी गलतियों को ठीक कराया जा सकता है। हालांकि कुछ लोगों के नाम गलती से कट गए होंगे इससे भी उन्होंेने इंकार नहीं किया। उनका कहना है कि ज्यादा परशानी नए परिसीमन के आधार पर हुए मतदान के कारण हुई है। वर्ष 2005 में जिले में कुल 3100 बूथ थे जो इस बार बढ़कर 3772 हो गए। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने इस बार अपनी ओर से मतदताओं को सूचना देने की पूरी कोशिश की थी। 25 मार्च से हेल्पलाइन शुरू की गई थी, जिसके जरिए 40 हाार से ज्यादा लोगों को जानकारी दी गई। इसके अलावा वेबसाइट और क्ियोस्क के माध्यम से भी मतदाता सूची की जानकारी देने की व्यवस्था की गई थी। पूर जिले में 35,50मतदाता हैं। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1है, जबकि 17,52161 महिला मतदाताएं है। इसमें से करीब 72 फीसदी यानी 25 लाख से ज्यादा मतदाता ऐसे थे, जिनका पहचान पत्र बनाया गया, जो काफी कठिन कार्य था।

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