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मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ज्यादा होती है रैगिंग : रिपोर्ट

उच्च शिक्षण संस्थानों में होने वाली रैगिंग पर सुप्रीम कोर्ट की कमिटी ने एक रिपोर्ट तैयार की है। इसने कहा है कि रैगिंग भारतीय समाज में न सिर्फ स्वीकार की जाती है बल्कि इसे शिक्षण संस्थानों में रिवाज...

मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ज्यादा होती है रैगिंग : रिपोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSat, 18 Nov 2017 06:14 PM
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उच्च शिक्षण संस्थानों में होने वाली रैगिंग पर सुप्रीम कोर्ट की कमिटी ने एक रिपोर्ट तैयार की है। इसने कहा है कि रैगिंग भारतीय समाज में न सिर्फ स्वीकार की जाती है बल्कि इसे शिक्षण संस्थानों में रिवाज माना जाता है। कमिटी ने अपनी जांच में पाया कि मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में रैगिंग का प्रचलन ज्यादा है। ‘साइकोलॉजिकल स्टडी ऑफ रैगिंग इन सिलेक्टेड एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन इन इंडिया ’नामक रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर छात्रों द्वारा रैगिंग करने के कारण और परिस्थितियों और रैगिंग का शिकार होने वाले छात्रों की मनोस्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में आकलन किया है। इस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की समस्या से निपटने के तरीकों पर भी सुझाव दिया है।

यूजीसी को लिखा पत्र
सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमिटी ने इस रिपोर्ट के मद्देनजर यूजीसी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र के अनुसार रैगिंग के कारण काफी जटिल हैं और इसलिए इससे निपटने के लिए भी ऐसे ही समाधान निकालने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में सिर्फ कानून बना देने से समस्या का समाधान नहीं होगा। 

कई कॉलेजों में किया सर्वे
सुप्रीम कोर्ट की कमिटी ने स्टडी के दौरान देश के 37 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जांच की। इनमें इंजीनियरिंग, मेडिकल, वेटेनरी, लॉ, नर्सिंग, एमसीए, पॉलिटेक्निक, होटल मैनेजमेंट, आयुर्वेद और डिग्री कॉलेज शामिल किए गए थे। कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार करीब 40 फीसदी छात्रों ने रैगिंग और अन्य तरह से डराने-धमकाने की शिकायत की थी। रैगिंग के मामले मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ज्यादा पाए गए। रिपोर्ट में रैगिंग को भारतीय समाज में मौजूद वर्गीकरण और असमानता का ही प्रभाव बताया गया है। 

कमिटी के सुझाव
स्कूल और कॉलेजों में रैगिंग पर स्टडी करने वाले कमिटी ने रैगिंग की समस्या को दूर करने के लिए कई सुझाव दिए हैं। कमिटी ने पीड़ित छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहयोग देने और काउंसिलिंग करने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही प्रताड़ित करने वाले छात्रों की भी काउंसिलिंग करनी चाहिए ताकि रैगिंग के प्रचलन को खत्म किया जा सके। साथ ही कमिटी ने सुझाव दिया है उच्च शिक्षण संस्थानों को हमेशा अपने छात्रों और स्टाफ का सर्वे करते रहना चाहिए ताकि कैंपस के सामाजिक वातावरण के बारे में पता लग सके।  संस्थानों को ऐसा वातावरण बनाने की भी सलाह दी गई है जहां छात्र एक-दूसरे का सम्मान करना सीखें, शांतिपूर्ण तरीके से मतभेदों का समाधान करें, रचनात्मक सोच को बढ़ावा दें, एक-दूसरे की विभिन्ना का सम्मान करें और करुणा का भाव रखें। सुप्रीम कोर्ट की इस पूरी रिपोर्ट को यूजीसी की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।
 

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