काम की बात : अपना आकलन खुद करना सीखें
जो व्यक्ति अपनी योग्यता और अयोग्यता तथा इच्छा शक्ति को पहचान कर आगे बढ़ता रहता है, उसके मार्ग में आने वाली हर रुकावट आसान हो जाती है। आज के समय के सबसे बड़े चिन्तक के रूप में दुनियाभर में अपनी...
जो व्यक्ति अपनी योग्यता और अयोग्यता तथा इच्छा शक्ति को पहचान कर आगे बढ़ता रहता है, उसके मार्ग में आने वाली हर रुकावट आसान हो जाती है। आज के समय के सबसे बड़े चिन्तक के रूप में दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके वैज्ञानिक और ए ब्रीफ हिस्ट्री आफ टाइम के लेखक हॉकिंग के बारे में सबको पता है कि उन्हें एमिओट्रॉफिक लेटेरल नाम की बीमारी है, जिसके चलते वे खड़े होकर चल नहीं सकते। हमेशा व्हील चेयर में ही बैठ कर अपना काम करते हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपनी कमजोरी को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और कई ऐसी किताबें लिख डालीं, जिसकी बदौलत दुनिया में उनकी अलग पहचान है। यानी हमें अपनी योग्यताओं और अयोग्यताओं को ही अपनी ताकत बनाते हुए आगे बढ़ते जाना है। कई लोग अपनी कमजोरी को अपना गाना बना लेते हैं और अपनी हर गलती पर वह उसे भुनाते हैं। ऐसे लोगों को कभी कोई गंभीरता से नहीं लेता।
लक्ष्य कभी छोटा न हो
मनोवैज्ञानिक लाके एवं लाथम ने ऊंचा लक्ष्य रखने के फायदे को गिनाते हुए कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को ऊंचा रखते हुए आगे बढ़ता है तो उसके तीन फायदे होते हैं। पहला, संभावित लक्ष्य तक पहुंचने में आसानी हो जाती है। दूसरा, जो लक्ष्य को पाना चाहता है, उसके मन में यह विश्वास हो जाता है कि वह अपने लक्ष्य को पा सकता है और तीसरा, यदि आप अपने लक्ष्य को ऊंचा रखते हैं तो काम के प्रति एक समर्पण की भावना आ जाती है। यदि आपको लक्ष्य ऊंचा होगा तो आप उस तक पहुंचने के लिए ऊंची मेहनत करेंगे जिससे आपको लाभ मिलेगा।