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स्पष्टीकरण: पुराने गहनों और कार की बिक्री पर नहीं लगेगा जीएसटी

राजस्व विभाग ने बुधवार को स्पष्ट किया कि लोगों की ओर से पुराने गहनों और वाहनों की बिक्री पर जीएसटी नहीं लगेगा। क्योंकि इस तरह की बिक्री किसी कारोबारी मकसद से नहीं की जाती है।     विभाग ने...

एजेंसियां नई दिल्लीThu, 13 July 2017 09:45 PM
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राजस्व विभाग ने बुधवार को स्पष्ट किया कि लोगों की ओर से पुराने गहनों और वाहनों की बिक्री पर जीएसटी नहीं लगेगा। क्योंकि इस तरह की बिक्री किसी कारोबारी मकसद से नहीं की जाती है।
   
विभाग ने राजस्व सचिव हसमुख अधिया की ओर से बुधवार को की गई टिप्पणी पर यह स्पष्टीकरण दिया है। विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जीएसटी मास्टर क्लास में बुधवार को सूचित किया गया कि सर्राफा कारोबारी द्वारा किसी उपभोक्ता से पुराने गहने खरीदने पर केंद्रीय जीएसटी कानून, 2017 की धारा 9 (4) के प्रावधानों के तहत उलट शुल्क व्यवस्था में तीन फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा।
 
बयान में कहा गया है कि इस धारा को एक अन्य धारा के साथ पढ़ा जाना चाहिए, जो कहती है कि किसी व्यक्ति द्वारा पुराने सोने की बिक्री अपने कारोबार के लिए नहीं की जा रही है और ऐसे में इसे आपूर्ति नहीं माना जा सकता। इसी के अनुरूप जौहरी या सर्राफा कारोबारी को इस तरह की खरीद पर उलट शुल्क व्यवस्था (आरसीएम) के तहत कर नहीं देना होगा।      

राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह सिद्धांत पुरानी कार या दोपहिया की बिक्री पर भी लागू होगा। इस पर भी जीएसटी नहीं लगेगा।  विभाग ने आगे कहा है कि यदि कोई गैर पंजीकृत इकाई किसी पंजीकृत आपूर्तिकर्ता को पुराने सोने के आभूषण बेचती है, तो उस पर कर लगेगा।  इसी तरह कोई सोने के आभूषण की आपूर्ति करने वाला गैर पंजीकृत व्यक्ति यदि इसे किसी पंजीकत आपूतर्किर्ता को बेचता है, तो आरसीएम के तहत इस पर कर लगेगा। 

छूट प्राप्त वस्तुओं के कारोबारियों को जीएसटीआईएन जरूरी नहीं 
सीमा शुल्क विभाग ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं के आयातकों व निर्यातकों को जीएसटी पंजीकरण संख्या (जीएसटीआईएन) लेना जरूरी नहीं है। उनकी निर्यात-आयात खेप को पैन संख्या के आधार पर ही मंजूरी दी जा सकती है। विभाग ने कुछ मीडिया रिपोर्टों के बीच यह स्पष्टीकरण जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार नई जीएसटी प्रणाली के तहत नियमों के इंतजार के चलते कुछ खेपों को आगे बढ़ाने में बंदरगाहों पर देरी हो रही है। सीमा शुल्क विभाग के महाराष्ट्र प्रकोष्ठ ने इस बारे में सार्वजनिक सूचना जारी की है। 

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