Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़GST Council meet: Relief package for small businesses exporters

GST: छोटे कारोबारियों को दिवाली गिफ्ट, कंपोजिशन स्कीम की सीमा 75 लाख से बढ़ाकर की गई 1 करोड़ रुपये

सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुये कंपोजिशन स्कीम की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी है। साथ ही नियार्तकों को नकदी की कमी से निजात...

एजेंसी नई दिल्लीSat, 7 Oct 2017 12:09 AM
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सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुये कंपोजिशन स्कीम की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी है। साथ ही नियार्तकों को नकदी की कमी से निजात दिलाने के लिए उन्हें तुरंत प्रभाव से रिफंड देने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को नई दिल्ली में जीएसटी परिषद् की बैठक के बाद कहा कि अब सालाना एक करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले व्यापारी कंपोजिशन स्कीम के तहत पंजीकरण करा सकेंगे। पहले यह सीमा 75 लाख रुपये थी। इस स्कीम के तहत करदाताओं को अपने कारोबार की गणना स्वयं करके एक से पांच प्रतिशत तक कर भरना होता है। साथ ही उन्हें मासिक की जगह तिमाही रिटर्न भरना होता है। 

इसके अलावा डेढ़ करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वालों को भी मासिक की जगह तिमाही रिटर्न भरना होगा। इन दोनों फैसलों से 90 प्रतिशत से ज्यादा करदाता लाभांवित होंगे। 

जीएसटी के तहत नियार्तकों के लिए रिफंड व्यवस्था तैयार नहीं होने से उनके सामने नकदी की समस्या पैदा हो गयी थी। जेटली ने बताया कि रिफंड प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्यों और केंद्र के अधिकारियों को अधिकार दिये गये हैं। इस साल 10 अक्टूबर से जुलाई महीने के लिए और 18 अक्टूबर से अगस्त महीने के लिए रिफंड प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी और नियार्तकों को जल्द से जल्द रिफंड को चेक दे दिया जायेगा।

बैठक के बाद वित्त मंत्री ने किए ये ऐलान
- पहले 50,000 रुपये से ऊपर की ज्वेलरी खरीदारी पर पेन दिखाना जरुरी था। लेकिन जीएसटी में बदलाव के बाद अब 2 लाख से ऊपर की ज्वेलरी खरीद पर पैन दिखाना जरुरी कर दिया गया है।  

- जीएसटी के तहत अभी तक कारोबारी हर महीने रिटर्न फाइल कर रहे हैं। लेकिन अब हर 3 महीने में रिटर्न फाइल करने की व्यवस्था पर सहमति बन गई है। 1.5 करोड़ रुपये टर्नओवर पर हर 3 महीने में रिटर्न भरनी होगी। बैठक के बाद वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि डेढ़ करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाले व्यावसायी अब मासिक के बजाय तिमाही रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।

- कंपोजिशन स्कीम के तहत ट्रेडिंग करने वाले लोग अब 1 फीसदी टैक्स देंगे। मैन्युफैक्चरिंग करने वाले 2 फीसदी टैक्स देंगे। रेस्टोरेंट बिजनस वालों को 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा। 

- नियार्तकों के लिये ई-वॉलेट एक अप्रैल 2018 से शुरू होगा 

- जुलाई एक्सपोर्ट्स के रिफंड चेक 10 अक्टूबर तक प्रोसेस कर दिए जाएंगे। अगस्त एक्सपोर्ट्स के रिफंड चेक 18 अक्टूबर तक प्रोसेस कर दिए जाएंगे। 

- 27 वस्तुओं पर जीएसटी दर कम की गई।

-  आम, खाखरा,  गैर-ब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाओं पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया जाएगा। 

- स्टेशनरी के कई सामान पर जीएसटी 28 से 18 प्रतिशत कर दी गई है. हाथ से बने धागों पर जीएसटी 18 से 12 प्रतिशत कर दी गई है।

- प्लेन चपाती पर जीएसटी 12 से 5 प्रतिशत कर दी गई है. आईसीडीएस किड्स फूड पैकेट पर जीएसटी 18 से 5 प्रतिशत की गई है।

- अनब्रैंडेड नमकीन पर 5 प्रतिशत जीएसटी की दर लागू होगी। 

- डीजल इंजन के पार्ट्स पर अब 18 फीसदी जीएसटी लगेगी. साथ ही दरी (कारपेट) पर जीएसटी की दर को 12 से 5 प्रतिशत कर दिया गया है। 

- अब एक ही फॉर्म से जीएसटी फाइल की जा सकेगी. साथ ही रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को मार्च 2018 तक स्थगित कर दिया गया है। 

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कंपोजिशन स्कीम
कुल 90 लाख पंजीकत इकाइयों में से अब तक 15 लाख ने कंपोजिशन योजना का विकल्प चुना है।

कंपोजिशन स्कीम में वस्तु व्यापारियों के लिये कर की दर एक प्रतिशत है। वहीं विनिमार्ताओं के लिये दो प्रतिशत, खाद्य या पेय पदार्थ (अल्कोहल के बिना) की आपूर्ति करने वालों के लिये 5 प्रतिशत रखा गया है। 

सेवा प्रदाता कंपोजिशन योजना का विकल्प नहीं चुन सकते।

कंपोजिशन योजना भोजनालय समेत छोटी कंपनियों को तीन स्तरीय रिटर्न भरने की प्रक्रिया का पालन किये बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में तय दर से कर देने की अनुमति देती है।

यह छोटे करदाताओं को स्थिर दर पर जीएसटी भुगतान की अनुमति देता है और उन्हें जटिल जीएसटी औपचारिकताओं से गुजरने की जरूरत नहीं होती है।

रेस्तरां संबंधित सेवाओं, आइसक्रीम,  पान मसाला या तंबाकू विनिमार्ता, आकस्मिक करदाता अथवा प्रवासी करदाता व्यक्ति तथा ई—वाणिज्य आपरेटर के जरिये वस्तुओं की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कोई भी सेवा प्रदाता इस योजना का विकल्प नहीं चुन सकता है।    

जो भी कंपनी कंपोजिशन योजना का विकल्प चुनती हैं, वे  इनपुट टैक्स क्रेडिट  का दावा नहीं कर सकती।

साथ ही करदाता एक ही राज्य में आपूर्ति कर सकते हैं और वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति नहीं 
कर सकते।

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