ADB ने घटाया भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान,नोटबंदी-GST का असर
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान पहले के 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.0 कर दिया है। एडीबी के मुताबिक निजी खपत, कारखानों के...
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान पहले के 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.0 कर दिया है। एडीबी के मुताबिक निजी खपत, कारखानों के उत्पादन और कारोबारी निवेश कमजोर रहने की वजह से वृद्धि दर की गति रहने का अनुमान है। बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भी अपने वृद्धि के अनुमान को पहले के 7.6 प्रतिशत से कम करके 7.4 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, उसने चीन की वृद्धि का अनुमान बढ़ा दिया है। एशियाई विकास बैंक ने अपनी एशियाई विकास परिदृश्य 2017 की अद्यतन रपट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष यानी 2017-18 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 7.0 रहने का अनुमान है। यह वित्त वर्ष 2016-17 के 7.1 से कम है। इससे पहले उसने जुलाई में भारत की वृद्धि दर 7.4 रहने का अनुमान लगाया था। इसी प्रकार वित्त वर्ष 2018-19 के लिए वृद्धि दर का आंकड़ा घटाकर 7.4 किया गया है जो कि जुलाई में 7.6 रहने का अनुमान था।
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हालांकि, बैंक ने चीन की आर्थिक वृद्धि के लिए संशोधित अनुमान वर्ष 2017 के लिए कुछ बढ़ाकर 6.7 कर दिया जो कि पहले 6.5 था। इसी प्रकार वर्ष 2018 के लिए उसने चीन की वृद्धि दर का अनुमान 6.4 कर दिया जो पहले 6.2 रखा था। एडीबी ने भारत में सुधारों के आधार पर वृद्धि तेज रहने के आसार जताए हैं और कहा, मुद्रास्फीति के नीचे रहने और मेहनताने में संभावित वृद्धि से निजी उपभोग बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही नई कर व्यवस्था के साथ उद्योग क्षेत्र का सामंजस्य स्थापित होने पर विनिमार्ण में भी फिर से तेजी आ सकती है। नोटबंदी और नई माल एवं सेवाकर व्यवस्था को लागू करने का प्रभाव भारत की आर्थिक वृद्धि पर पड़ा है। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वद्धि तीन साल के सबसे निचले स्तर पर यानी 5.7 पर रही है। रपट में कहा गया है कि निजी उपभोग, विनिमार्ण उत्पादन और कारोबारी निवेश में कमजोर रुख से अल्पावधि में देश के वृद्धि परिदृश्य पर असर पड़ा है। लेकिन उम्मीद की जाती है कि मध्यम अवधि में इन पहलों से वृद्धि लाभांश अर्जित होगा।
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जून तिमाही में निजी और उद्योग उपभोग पिछली तिमाहियों के मुकाबले गिरा है। स्थायी पूंजी का निमार्ण भी 1.6 की धीमी गति से बढ़ा है जो निजी निवेश में भारी सुस्ती को दशार्ता है। हालांकि, सरकारी उपभोग एवं सेवाओं के क्षेत्र में हालांकि गतिविधियां तेज बनी हुई हैं।