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पेंशनरों-विधवाओं को तो बख्शते

सरकार के कुछ सबसे बेदिल इंतजामों में एक है पेंशनरों पर थोपा गया ताजा नियम। सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए पेंशनरों व विधवाओं के बेहबुद बॉण्ड और नेशनल सेविंग स्कीम अकाउंट से मिलने वाले लाभ पर टैक्स लगा...

पेंशनरों-विधवाओं को तो बख्शते
डॉन, पाकिस्तानWed, 18 Oct 2017 10:21 PM
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सरकार के कुछ सबसे बेदिल इंतजामों में एक है पेंशनरों पर थोपा गया ताजा नियम। सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए पेंशनरों व विधवाओं के बेहबुद बॉण्ड और नेशनल सेविंग स्कीम अकाउंट से मिलने वाले लाभ पर टैक्स लगा दिया है। फेडरल ब्यूरो ऑफ रेवेन्यू का ऐसे खातों के लाभ पर दस प्रतिशत टैक्स थोपना हल्का भले लगे, लेकिन  सब जानते हैं कि इन योजनाओं में आमतौर पर कमजोर या कम आय वाले लोग ही निवेश करते हैं और ऐसे लोगों, खासकर बुजुर्गों व विधवाओं के लिए यह भी बड़ी चोट है। यह इनकी संचित कमाई होती है और इसके बढ़ने का कोई जरिया नहीं होता, जबकि बढ़ती महंगाई का इन्हें तयशुदा राशि से ही क्रय क्षमता से समझौता करते हुए मुकाबला करना होता है। ऐसे में, इनको मिलने वाले लाभांश या ब्याज पर टैक्स किसी भी नजरिए से उचित नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोगों पर, जो आमतौर पर बाजार और निवेश के तौर-तरीकों से भी अनजान हैं, यह नया बोझ किस सोच का नतीजा है, ये समझ से परे है।

वैसे ही हमारी अर्थव्यवस्था संचित निधि वालों के लिए कोई उदार रुख नहीं रखती, ऐसे में इनकी थोड़ी-बहुत कमाई पर प्रहार बड़ा झटका है। फिलहाल साफ नहीं है कि नए कर की कटौती बैंक के स्तर पर ही होगी या इसे रिटर्न से जोड़ा जाएगा, लेकिन दोनों ही सूरत में घाटा तो बुजुर्गों का ही है। सच तो यह है कि ये ऐसी निवेश योजनाएं थीं, जो खास कारणों से हमेशा कर दायरे से मुक्त रहीं, हालांकि इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी घोषणा करनी होती थी। अब अगर यह कर कटौती तय हो ही चुकी है, तो सरकार को कुछ ऐसी घोषणाएं भी जल्द से जल्द कर देनी चाहिए, जो हमारे बुजुर्गों और विधवाओं के इस ताजा घाव पर मरहम लगाने वाला हो, ताकि  कम से कम इनका भरोसा इन योजनाओं से न टूटे। यह सच है कि देश आर्थिक संकट में है और सरकार को राजस्व प्राप्ति के नए-नए स्रोत तलाशने ही होंगे, लेकिन यह भी सरकार की ही जिम्मेदारी है कि वह अपने समाज के जरूरतमंदों और कमजोर तबकों का ध्यान रखे। कम से कम वह उन पर अतिरिक्त बोझ तो न ही थोपे। 
    

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