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ब्रिक्स घोषणापत्र के संदेश

पक्ष-प्रतिपक्ष कोई भी हो, संदेश बहुत स्पष्ट है। आतंकी गुटों के प्रति पाकिस्तान की सहिष्णुता अब स्वीकार्य नहीं है और यह भी कि अगर पाकिस्तान को सकारात्मक वैश्विक राय के साथ दिखना है, तो उसे गंभीर...

ब्रिक्स घोषणापत्र के संदेश
डॉन, पकिस्तानThu, 07 Sep 2017 12:17 AM
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पक्ष-प्रतिपक्ष कोई भी हो, संदेश बहुत स्पष्ट है। आतंकी गुटों के प्रति पाकिस्तान की सहिष्णुता अब स्वीकार्य नहीं है और यह भी कि अगर पाकिस्तान को सकारात्मक वैश्विक राय के साथ दिखना है, तो उसे गंभीर प्रयास करने होंगे। अफगानिस्तान में हिंसा की निंदा और अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के सीधे उल्लेख के साथ सामने आए ब्रिक्स घोषणापत्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। घोषणापत्र में पाकिस्तान को इंगित किए जाने के पीछे इस समूह में भारत की मौजूदगी के असर को महसूस करने की जरूरत है, यह अलग बात है कि चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की आवाज आतंकवाद पर बढ़ती उनकी चिंताओं का सहज इजहार मात्र है। जरूरत इस बात की भी है कि विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संकेत खारिज न किए जाएं। सच है कि पाकिस्तान घरेलू मोर्चे पर आतंकवाद का मुकाबला करने में किसी हद तक सफल रहा है, लेकिन आतंकवाद पर इसकी सोच का अंतर्विरोध बहस का मुद्दा रहे हैं। आतंकवाद विरोधी रणनीति का अंतर्विरोध कहें या ऊहापोह, यह आतंकवादी गुटों पर प्रतिबंध लगाता भी है, तो इनके क्रियाकलापों पर सही मायनों में रोक सुनिश्चित नहीं कर पाता। आतंकवाद विरोधी रणनीति का आलम यह है कि एकमात्र वास्तविक प्रयास ‘राष्ट्रीय कार्य योजना’ का क्रियान्वयन भी बिना किसी एकरूपता के किया गया। निश्चित रूप से भारत, अफगानिस्तान और अमेरिका, पाकिस्तान पर लगातार आरोप लगाते रहे हैं, और यह भी सच है कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की अपनी लड़ाई के नतीजों की जान-बूझकर अनदेखी हुई है। पर इस मामले में हमें अपने तईं स्पष्टता दिखानी होगी। आतंकवाद के विरुद्ध हमारी लड़ाई हमारे दीर्घकालीन हितों, शांति व समृद्धि के लिए है। ऐसे में, इसे कई बार अपनी आलोचनाओं की भी अनदेखी करनी पड़ सकती है। खासकर बाहरी आलोचनाओं की, जिनका अपने हित में या कमियों को छिपाने के लिए सहारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ब्रिक्स घोषणापत्र एक वैश्विक रुख की ओर इशारा है, जिसे पाकिस्तान नजरअंदाज नहीं कर सकता।

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