भ्रष्टाचार से लड़ता चीन
भ्रष्टाचार के खिलाफ जबर्दस्त जनाक्रोश का सामना कर रहे रूस व ब्राजील जैसे देशों को इस समस्या से निपटने में चीन के अभियान से सबक लेना चाहिए। साल 2012 से चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने देश...
भ्रष्टाचार के खिलाफ जबर्दस्त जनाक्रोश का सामना कर रहे रूस व ब्राजील जैसे देशों को इस समस्या से निपटने में चीन के अभियान से सबक लेना चाहिए। साल 2012 से चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने देश में फैले भारी भ्रष्टाचार को काबू में करने के लिए सजा के खौफ पर सबसे ज्यादा भरोसा किया। एक लाख से भी अधिक सरकारी मुलाजिमों व पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई या उन्हें जेल में डाला गया। इसके बावजूद चीनी अधिकारी मानते हैं कि सजा का भय काफी नहीं है। पिछले साल चीन में भ्रष्टाचार के मुकदमों की संख्या में गिरावट आई। माना जा रहा है कि पार्टी अब अपने आठ करोड़, 70 लाख सदस्यों के आचरण को शुद्ध करने की कवायद को उस दिशा में मोड़ना चाहती है, जिसे राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पार्टी की ‘कार्यशैली’ में सुधार के रूप में चिह्नित किया है। शी हमेशा कहते हैं कि भ्रष्टाचार चीन का ‘सबसे बड़ा खतरा’ है और मंद पड़ती अर्थव्यवस्था में सुधार इसकी सबसे बड़ी जरूरत। अब व्यक्तियों के निजी भ्रष्टाचार से निपटने से बढ़कर पार्टी का कदम तमाम विभागों में सुधार करना है। बीते 11 जून को पार्टी के भ्रष्टाचार विरोधी आंतरिक दस्ते (सेंट्रल कमिशन फॉर डिसिप्लिन इंस्पेक्शन यानी सीसीडीआई) ने दो राज्यों- जिलिन और इनर मंगोलिया के फर्जी आर्थिक आंकड़ों की आलोचना की। पूर्व में ऐसी आलोचना सरकार के ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स द्वारा जारी की जाती थी। पर अब पार्टी ईमानदार आंकड़े सुनिश्चित करने की मुहिम का नेतृत्व कर रही है। आर्थिक सुधार के लिहाज से अहम उद्योगों में बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के इरादे से सीसीडीआई ने वित्तीय क्षेत्र पर भी अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। सीसीडीआई के शक्तिशाली नेता वांग किशान का मानना कि सिर्फ डराकर भ्रष्टाचार पर काबू करने की बजाय अधिकारियों को अपनी अंत:प्रेरणा से सही काम करने के लिए प्रोत्साहित करके चीन अधिक बेहतर कर सकता है। अगर चीन ऐसा करने में सफल रहा, तो यह वास्तविक सांस्कृतिक क्रांति होगी। और दूसरे देशों के लिए नजीर भी।