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Hindi News ओपिनियन नश्तरमेरे डर का इलाज करो कोई

मेरे डर का इलाज करो कोई

एक सवाल मैं बड़ी हिम्मत करके पूछना चाहता हूं कि क्या सचमुच छत्तीसगढ़ के सुकमा में माओवादियों ने हमला किया था या यह सिर्फ भारत के दुश्मनों द्वारा फैलाई गई अफवाह थी? इसी तरह, क्या सचमुच कश्मीर में...

मेरे डर का इलाज करो कोई
राजेन्द्र धोड़पकरThu, 11 May 2017 12:04 AM
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एक सवाल मैं बड़ी हिम्मत करके पूछना चाहता हूं कि क्या सचमुच छत्तीसगढ़ के सुकमा में माओवादियों ने हमला किया था या यह सिर्फ भारत के दुश्मनों द्वारा फैलाई गई अफवाह थी? इसी तरह, क्या सचमुच कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी सक्रिय हैं या यह सिर्फ सुनी-सुनाई है? ये सवाल इसलिए पूछ रहा हूं, क्योंकि हमें बताया गया था कि नोटबंदी ने आतंकवाद और माओवाद की कमर तोड़ दी है, बल्कि कुछ लोगों का तो यह तक कहना था कि ये बुराइयां भारत से सदा के लिए खत्म हो गई हैं। इसी उम्मीद और खुशी में हम लोग एटीएम की लंबी लाइनों में खड़े हुए थे। बताया गया था कि काले पैसे की अर्थव्यवस्था तो अब बीते दिनों की बात हो गई है। 

इसके बाद हम जैसे फटीचर लोगों को, जो हर अमीर आदमी को बुराइयों की खान समझते थे, हर अमीर आदमी में संतों-सी पवित्रता नजर आने लगी। आजकल के दौर में, जब गेरुआ वस्त्र पहने लोगों को देखकर भी तरह-तरह के संदेह जागते हैं, हमें बेशकीमती सूट पहने लोग भी पवित्र नजर आने लगे। इसी तरह, हमने मान लिया कि अलगाववाद, आतंकवाद और माओवाद भी विदा हो गए।

लेकिन अब जो आतंकवादी और माओवादी हमले हुए, उनसे कुछ शक पैदा होता है। मान लो, वे खत्म नहीं हुए हों, उनकी कमर ही टूटी हो, लेकिन इतनी जल्दी टूटी कमर का इलाज कैसे हो सकता है? अगर इलाज हुआ, तो किसने किया? कहां किया कि दो-तीन महीने बाद ही दौड़ने लायक बना दिया। कहीं ऐसा तो नहीं कि मरने के बाद इन दुष्ट शक्तियों का पुनर्जन्म हो गया, जैसे करण-अर्जुन  फिल्म में करण और अर्जुन का होता है? वे फिर शाहरुख खान और सलमान खान के रूप में ही वापस आकर ठाकुर से बदला लेते हैं। या ये दुष्ट असल में माओवाद और आतंकवाद के भूत हैं, जो लोगों को डरा रहे हैं? ऐसा है, तो क्या काले पैसे का भी भूत देश में मंडरा रहा है? क्या हमें अब सूट पहने लोगों में दिव्यता के दर्शन की बजाय भूतों का डर पैदा होगा? क्या कोई इस डर और शक से मुक्ति दिला सकता है?

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