भुखमरी की मेरिट लिस्ट में
ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में ज्यादा भुखमरी हो गई है। भुखमरी की मेरिट लिस्ट में भारत सौवें नंबर पर है, यानी खाने-पीने की व्यवस्थाएं 99 देशों में भारत के मुकाबले कहीं बेहतर हैं। लेकिन यहां एक लाख...
ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में ज्यादा भुखमरी हो गई है। भुखमरी की मेरिट लिस्ट में भारत सौवें नंबर पर है, यानी खाने-पीने की व्यवस्थाएं 99 देशों में भारत के मुकाबले कहीं बेहतर हैं। लेकिन यहां एक लाख रुपये के एप्पल फोन के लिए भी लाइन लंबी होती है। यह उस लाइन से लंबी होती है, जो मुफ्त के खाने के लिए लगती है। भूख कई तरह की है। कुछ एप्पल सेवन वाले एप्पल-8 का इंतजार वैसे ही करते हैं, जैसे मंदिर के बाहर भंडारे की लाइन में लगने वालों को खाने में पूड़ी मिलने के बाद सब्जी का इंतजार होता है। पहले मेरे इलाके में विधायक पांच साल में औसतन पांच करोड़ बना लेते थे, अब 20 करोड़ बनाकर भी कहते हैं- अब पहले जैसी बात नहीं रही। पहले 60 के बाद रिटायर होकर बेटे को सेट करके लोग अपने किस्से सुनाया करते थे कि क्या-क्या तीर चलाए थे उन्होंने। अब बेटे को सेट करके बंंदे खुद भी री-सेट होना चाहते हैं। भूख बढ़ी है, यशवंत सिन्हा की कसम।
लाखों का घपला सुनने को तो हमारे कान तरस गए, अब तो कोई इंस्पेक्टर लेवल का घपला भी करोड़ों से कम नहीं होता। घपलों में डाइटिंग का कंसेप्ट नहीं है। भूख इतनी ज्यादा बढ़ी हुई है कि जब मौका मिलता है, तो अपने हिस्से का ही नहीं, सबके हिस्से का खा जाते हैं भाई लोग। समता-समाजवाद के नाम पर शुरू हुए नेताओं की संपत्ति अब टॉप अरबपतियों के मुकाबले दिख रही है। यही सच्चा समाजवाद है, असली बराबरी। फिर भी भूख खत्म नहीं हुई, मेरी संपत्ति भी इतनी हो और मेरे बेटों की भी इतनी हो। मेरे बेटों के बेटों के बेटों की भी इतनी हो। मेरी दृष्टि में सच्ची समता इस मुल्क में तब आएगी, जब रिक्शे वाले के बेटे को भी सिनेमा हॉल, पेट्रोल पंप में घपला करने का समान अधिकार मिलेगा। अभी बहुत सेलेक्टिव समता है सब तरफ। समता हर मामले में होनी चाहिए, हरेक के बेटे को मंत्री बनने का और हरेक के बेटे को शॉपिंग मॉल में हिस्से का हक होना चाहिए। सच्ची समता भी आएगी, क्योंकि समता की भूख भी बहुत जबर्दस्त है।