फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन नश्तरमन रे काहे न धीर धरे

मन रे काहे न धीर धरे

यह नए निजाम की ही हनक है कि पापी लोग पुराने पापों का प्रायश्चित करने के बाद नए पाप करने लगे हैं। जो धीरे-धीरे जम जाए, उसे ही सरकार कहते हैं। पौधे की बढ़वार नहीं नापी जाती। जनता में तो नाममात्र का भी...

मन रे काहे न धीर धरे
उर्मिल कुमार थपलियालFri, 14 Jul 2017 10:04 PM
ऐप पर पढ़ें

यह नए निजाम की ही हनक है कि पापी लोग पुराने पापों का प्रायश्चित करने के बाद नए पाप करने लगे हैं। जो धीरे-धीरे जम जाए, उसे ही सरकार कहते हैं। पौधे की बढ़वार नहीं नापी जाती। जनता में तो नाममात्र का भी धीरज नहीं। बिटिया जन्मी नहीं कि शादी की तैयारी। नामकरण पहले, बेटा बाद में। रामराज क्या कभी आसमान फाड़कर आता है? जवानी रातोंरात नहीं आती।

गरीब किसानों को लग रहा है कि उनका कर्जा माफ नहीं हुआ, उनकी सजा माफ हुई है। मृत्युदंड से तो आजन्म कारावास अच्छा। धीरज के बगैर अफरा-तफरी में न इश्क पनपता है, न मुहब्बत। भीख मांगने से पहले कटोरा बजाया जाता है, हांक लगाकर भीख नहीं मांगी जाती। पानी बरस रहा हो, तो आंगन में दीपक नहीं जलाए जाते। सरकार तो  वह वीतरागी पूत है, जिसके पांव पालने से बाहर निकलकर लतियाने में लगे हैं। धीरज का फल तभी मीठा होगा, जब धीरज के फल निकलते हों। ठूंठ हुए तने पर तो लताएं भी नहीं चढ़तीं।

पानी बेतहाशा गिर रहा है, तो भाई धीरज रखो। बाढ़ तो आएगी ही। धीरज में अपनी पहचान बनाए रखनी होती है। आईना आपकी सूरत दिखाता है, सीरत नहीं। जो बार-बार मोदी-मोदी करे, समझो वह केजरीवाल है। रामदेव न होते, तो पतंजलि भी नहीं होते। जो बार-बार घुड़की देता है, वह अगर बंदर नहीं, तो समझो चीन है। पाकिस्तान का गुर्राना उसकी नस्ल का स्वभाव है। हमारे सैनिकों के पास सबसे बड़ा हथियार उनका धीरज है। धीरज की परीक्षा है, जिसमें वे हमेशा पास होते रहते हैं।

धीरज के कई उदाहरण हैं। मूसलाधार बारिश में भीगते हुए गधे का धैर्य देखते ही बनता है। मन में धीरज हो, तो बुरे दिन भी अच्छे लगते हैं। जीएसटी समझ न आई हो, तो धैर्य रखें। उसकी समझ अभी केवल वित्त मंत्री के पास है। आपने धीरज धरा तो नोटबंदी आपका कुछ बिगाड़ पाई क्या? अब भी धीरज धरें। जीएसटी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। धीरज धरना गरीबों का कर्तव्य है, अधिकार तो यह है ही।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें