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जीत का सूत्र

एशियन चैंपियनशिप के फाइनल में जापानी पहलवान के हाथों हार जाने के बाद भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा था- ‘जापानी पहलवान को हराना बहुत मुश्किल है। उसे हराने के लिए अगला जन्म लेना...

जीत का सूत्र
भारत भूषण आर्यWed, 07 Jun 2017 12:10 AM
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एशियन चैंपियनशिप के फाइनल में जापानी पहलवान के हाथों हार जाने के बाद भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा था- ‘जापानी पहलवान को हराना बहुत मुश्किल है। उसे हराने के लिए अगला जन्म लेना होगा।’ हम सब भी कभी न कभी ऐसा कुछ कह ही देते हैं। जैसे, फलां काम तो मेरे बस का है ही नहीं, झूले का नाम सुनते ही मुझे तो चक्कर आने शुरू हो जाते हैं, मुझे सब विषय आसान लगते हैं सिवाय गणित के, वगैरह। मगर खास है यह समझना कि क्या वाकई ऐसा है या ‘हमारे सोचने का ढंग’ ही हमारी बाधाओं, मुश्किलों और चुनौतियों को और बड़ा व भयंकर बना रहा है?

मशहूर अमेरिकी लेखक नॉर्मन विंसेंट पील अपनी प्रसिद्ध किताब द पॉवर ऑफ पॉजिटिव थिंकिंग  में कहते हैं कि ‘रफ’ यानी खुरदरा या कठिन सिर्फ ‘मानसिक’ है- ‘द रफ इज ओनली मैंटल, आई थिंक विक्टरी-आई गेट विक्टरी’ यही जीत का सूत्र है। इसे कागज के टुकड़े पर पर लिख लो। इसे अपने वॉलेट में रखो, इसे उस शीशे पर चिपका दो, जिसे देखकर तुम सुबह शेव करते हो, इसे किचन की सिंक पर चिपका दो, इसे अपनी ड्रेसिंग टेबिल व डेस्क पर टांग दो और इसे तब तक देखते रहो, जब तक कि इसका ‘सच’ तुम्हारी चेतना की गहराइयों में न उतर जाए। जब ऐसा होगा, तब तुम कह उठोगे- ‘हां, मैं सब कुछ कर सकता हूं।’

मैदान में घुड़सवार ही गिरते हैं। मगर जरूरत होती है एक बार फिर पूरी ताकत को समेटते हुए एक चैंपियन का कलेजा लिए रिंग में उतरने की। स्वामी विवेकानंद के शब्दों में- ‘प्रयत्नशील व्यक्ति कहता है मैं समुद्र पी जाऊंगा, मेरी इच्छा से पर्वत टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।’

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