कल्पना संवारती है
आमतौर पर लोग अनुमान और कल्पना के सहारे जीते हैं। ट्विटर पर ट्वीट करते ही या वाट्सएप या फेसबुक पर कोई पोस्ट करते ही हम कल्पना के घोड़े दौड़ाने लगते हैं। हम कल्पनाओं में खुशी महसूस करते हैं, और...
आमतौर पर लोग अनुमान और कल्पना के सहारे जीते हैं। ट्विटर पर ट्वीट करते ही या वाट्सएप या फेसबुक पर कोई पोस्ट करते ही हम कल्पना के घोड़े दौड़ाने लगते हैं। हम कल्पनाओं में खुशी महसूस करते हैं, और अपनी रचनात्मकता पर गर्वित और रोमांचित होते हैं। यह वाकई शानदार अनुभूति होती है, जो हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। सृजनशील काल्पनिकता को अपने भीतर बनाए रखने के लिए दो चीजें जरूरी हैं। पहली- खुद से प्यार करना। दूसरी, खुद पर भरोसा। खुद पर भरोसा रखकर ही आप दूसरों के भरोसे को जीत सकते हैं। काल्पनिकता आपको नए तरीके से सोचना तो सिखाती ही है, नए ढंग से जिंदगी जीने की प्रेरणा भी देती है। अगर आप अपनी काल्पनिकता की ऊर्जा के प्रवाह का अनुसरण पूरी तरह करते हैं, तो जो भी सपने देखते हैं, वे सहज ही साकार होते हैं। इसके लिए सतत जागरूकता और आत्ममंथन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस दौरान, हमें सचेत रहने की जरूरत होती है। किसी काम को करने से पहले ही कोई हिचक, दबाव, तनाव या अनिच्छा महसूस हो, तो उसे न करना ही बेहतर है। कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज कहते हैं कि मैं सोते-जागते, उठते-बैठते चिंतन यानी कल्पना में विचरण करता हूं, जिसमें मैं नृत्य में और कुछ नया जोड़ने के बारे में सोचता हूं। इससे पता नहीं, कब कौन-सा काम करते-करते नई रचना तैयार हो जाती है। इसका अंदाज ही नहीं होता। कभी फुरसत में होता हूं, तब यह महसूस करता हूं कि आज मैं जिस जगह पहुंचा हूं, वह मेरी सकारात्मक सोच और कल्पनाशीलता का ही परिणाम है। वाकई, इसने मेरे जीवन को संवार दिया।