फोटो गैलरी

विकास का शॉर्टकट

प्रसिद्ध दिव्यांग वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का हाल ही में एक बयान छपा है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके दिमाग की असाधारण ताजगी, याददाश्त और सृजनात्मकता की वजह कुछ स्मार्ट गोलियां हैं। उन्होंने यह भी कहा...

विकास का शॉर्टकट
अमृत साधनाSun, 21 May 2017 11:34 PM
ऐप पर पढ़ें

प्रसिद्ध दिव्यांग वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का हाल ही में एक बयान छपा है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके दिमाग की असाधारण ताजगी, याददाश्त और सृजनात्मकता की वजह कुछ स्मार्ट गोलियां हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह दवाई मानव विकास में एक क्रांति ला सकती है। उसके मस्तिष्क के विकास में यह एक नया मोड़ लाएगी, क्योंकि आखिर ब्रेन यानी मस्तिष्क एक मांसपेशी ही है। हॉकिंग की असाधारण प्रतिभा के बारे में कोई दोराय नहीं है। उस शरीर में ऐसा जीनियस कैसे बसता है, यह एक शोध का विषय है। मगर पूरी मानव जाति का विकास ही गोलियां खाकर होगा, यह मानना कुछ ज्यादा मालूम होता है।

यकीनन मस्तिष्क एक मांसपेशी है और उसके अंदर जो कोशिकाओं और नसों का जाल है, वह कोई चमत्कार है, पर वह है शरीर का ही हिस्सा, भौतिक जगत का दायरा। जबकि मनुष्य की संभावनाएं अनंत हैं। वह जितना शरीर है, उतना मन भी है, आत्मा भी और उसके पार भी बहुत कुछ। उपनिषदों ने कई सूक्ष्म शरीरों का उल्लेख किया है, जिसे वे कोष कहते हैं। जैसे अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, आनंदमय कोष। इन तलों पर विकास सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होता जाता है। कोई गोली, कितनी ही स्मार्ट क्यों न हो, वहां तक नहीं जा सकती।

ओशो ने विकास की दो दिशाएं बताई हैं- समानांतर और ऊर्ध्वगामी। डार्विन वाला विकास समानांतर है, वह प्रकृति के नियमानुसार होता है। लेकिन एक और विकास है चेतना का, ऊर्ध्वगामी, जो सिर्फ मनुष्य का अधिकार है। मनुष्य जब अपनी कमजोरियों से, अज्ञान से ऊपर उठने की कोशिश करता है, तो वह अपनी जिम्मेदारी खुद लेता है। ऐसे विकास का कोई शॉर्टकट नहीं होता।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें