फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन मेरी कहानीहर सुबह संगीत से खुलती थी नींद

हर सुबह संगीत से खुलती थी नींद

मेरा जन्म अमृतसर में हुआ था। मेरी एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई हैं। बहन का नाम स्मिति है और भाई का नाम रोहिताश्व। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई अमृतसर के ही सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल में हुई। हर बच्चे की तरह...

हर सुबह संगीत से खुलती थी नींद
दीप्ति नवल, अभिनेत्रीSat, 26 Aug 2017 10:11 PM
ऐप पर पढ़ें

मेरा जन्म अमृतसर में हुआ था। मेरी एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई हैं। बहन का नाम स्मिति है और भाई का नाम रोहिताश्व। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई अमृतसर के ही सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल में हुई। हर बच्चे की तरह मुझे भी मां और पिता से बहुत लगाव था। मेरे दादा एक जाने-माने वकील थे और दादी एक जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता थीं। मेरी मां एक ऐसी महिला हैं, जिनमें जबरदस्त आकर्षण, सुंदरता और सहजता है। बोलचाल का उनका तरीका, उनकी अंदरूनी ताकत, जिंदगी को लेकर उनकी सकारात्मक सोच, ये सब बिल्कुल ऐसा रहा कि उसमें कोई कहीं से कमी नहीं निकाल सकता। मेरे भीतर की संवेदना दरअसल मुझे मां से ही मिली है। प्रकृति को लेकर मेरा प्यार भी मां से ही मिला है। मुझे याद है कि पेड़-पहाड़-फूल देखकर वह हमेशा खुशी से भर जाती थीं। वह ऐसी चीजों के बारे में इतने अच्छे तरीके से अपनी बात कहती थीं कि अनजाने में वह सब कुछ मेरी जिंदगी का हिस्सा बनता चला गया। छोटी-बड़ी हर बात को लेकर उनकी संवेदनाओं का मेरे जीवन पर काफी असर पड़ा। मेरे कहने से पहले ही वह समझ जाती थीं कि मुझे क्या चाहिए? उनकी खूबसूरती को छोड़ भी दीजिए, तो वह अंदर से बहुत ताकतवर और दूसरों को लेकर सहानुभूति रखने वाली महिला रहीं। मैं जब छोटी थी, तो अक्सर सोचा करती कि मैं बड़ी होकर बिल्कुल वैसी ही बनना चाहती हूं, जैसी मेरी मां हैं। 

मेरी मां का जन्म बर्मा में हुआ था। अमृतसर में सर्दियों की ऐसी तमाम रातें मुझे याद हैं, जब मैं मां के साथ चिपककर बिस्तर में लेटी रहती थी। मां बर्मा में बीते अपने बचपन की कहानियां मुझे सुनाया करती थीं। बच्चे रामायण  और महाभारत की कहानियां सुनकर बड़े होते हैं। मेरा बचपन इस मायने में अलग था। मैं बर्मा की कहानियां सुन-सुनकर बड़ी हुई। साल 2002 की सर्दियों में मैं मां को लेकर बर्मा गई। मैंने वहां पर उनको एक छोटी लड़की की तरह देखा। ऐसी लड़की, जिसने करीब 60 साल पहले अपना देश छोड़ दिया था। मां अपने दोस्तों से मिलीं। मैंने कुछ चीजें कैमरे में कैद भी कीं। एक मां और बेटी का रिश्ता शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। मैं कोशिश भी नहीं करती। बस इतना है कि जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ रही है और मैं शीशे में जब-जब खुद को देखती हूं, तो मुझे अपने भीतर मेरी मां दिखाई देती हैं। ये मेरे लिए जिंदगी का इनाम है। 

पिताजी को मैं पिती कहती थी, पिताजी का शॉर्ट फॉर्म। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब मैं छोटी थी, तो पिताजी नहीं बोल पाती थी। बचपन का एक किस्सा सुनाती हूं। मैं करीब पांच साल की थी तब। अमृतसर में अपने घर के बरामदे में मोढ़े पर ही सो गई। मां उस वक्त किचन के काम निपटा रही थीं। मेरे कान में एक आवाज गई- देखो, दीप्ति यहीं पर सो गई। मुझे याद है कि उन्होंने मुझे बड़े प्यार से गोद में उठाया और ले जाकर मेरे बिस्तर पर लिटा दिया। मुझे अपने पिती की पहली याद यही है- उनके कंधे। वे कंधे मेरा साथ देने के लिए हमेशा रहे। अमृतसर की सर्द सुबहों की बात बताती हूं। मैं और मेरी बहन कंबल में लेटे रहते थे। लगभग हर सुबह पिती हमें जगाने के लिए आते थे। उस कमरे के एक कोने में हारमोनियम रखा हुआ था। पिताजी हारमोनियम बजाना शुरू करते थे। जैसे-जैसे हारमोनियम की आवाज हमारे कानों में पड़ती थी, मैं और मेरी दीदी धीरे-धीरे आंखें खोलते जाते। 

मेरी जिंदगी में पिती की झलक है। वह चाहते थे कि मैं जिंदगी में कुछ हासिल करूं। ‘ऑर्डिनरी’ से ज्यादा। मैंने अपनी जिंदगी में जो कुछ भी करना चाहा, मुझे हमेशा उनका साथ मिला। किसी विषय पर बातचीत करनी हो, एक-दूसरे की सोच को सुनना-समझना हो, तर्क करना हो, विचार-विमर्श करना हो, तो उनका ‘सपोर्ट’ हमेशा साथ रहा। वह एक बेहतरीन टीचर थे। उन्होंने सीखने पर हमेशा बहुत जोर दिया। मैं12 साल की हो चुकी थी। पिती और मैं सुबह लंबी ‘वॉक’ पर जाते थे। एक इतवार की बात है। हम घूमते हुए एक-दूसरे से एक भी शब्द कहे बगैर शहर के बाहर की तरफ बहने वाली नदी तक पहुंच गए। उस दिन हम लोगों की मॉर्निंग वॉक कई घंटे तक चली। हम बिना बोले भी बात करते थे।  मां और पिती को कुल्लू की वादियों से बड़ा लगाव था। हमारी गरमी की छुट्टियां अक्सर वहीं बीता करती थीं। मां वहां पेंटिंग करती रहती थीं। पिती पैदल घूमने निकल जाते थे। पहाड़ों को लेकर मेरे मां-पिताजी का प्यार मुझे बड़ा पसंद था। दोनों को पहाड़ों से बहुत प्यार था। बचपन की इन्हीं यादों के बीच मैं जब करीब 13-14 साल की थी, तो एक रोज पिताजी ने अमेरिका ‘शिफ्ट’ होने का फैसला कर लिया। 
जारी...

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें