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शो चलता रहेगा

इस देश में जब भी कोई मजमा निपटता है, तो उसके बारे में एक ही बात अक्सर कही जाती है- खेल खतम, पैसा हजम। बुधवार की रात को मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में हुए मशहूर पॉप गायक जस्टिन बीबर के शो के बारे...

शो चलता रहेगा
हिन्दुस्तानFri, 12 May 2017 12:28 AM
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इस देश में जब भी कोई मजमा निपटता है, तो उसके बारे में एक ही बात अक्सर कही जाती है- खेल खतम, पैसा हजम। बुधवार की रात को मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में हुए मशहूर पॉप गायक जस्टिन बीबर के शो के बारे में यह कहना बहुत आसान नहीं है, क्योंकि यह बात आसानी से हजम नहीं होती कि महज 90 मिनट के एक शो में सौ करोड़ रुपये खर्च हो गए। ऐसा ही एक दूसरा तथ्य यह भी है कि बीबर के चहेतों ने इस शो के लिए एक-एक टिकट पर 76 हजार रुपये तक खर्च किए। हममें से कई लोगों के लिए यह रकम बहुत ज्यादा हो सकती है। लेकिन शायद सबके साथ ऐसा नहीं है, तभी तो इतना महंगा टिकट होने के बावजूद स्टेडियम में उनके गाने सुनने के लिए या उन्हें गाते सुनने के लिए 45 हजार की भीड़ जुटी। डेढ़ घंटे के इस छोटे से कार्यक्रम पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही? यह इस पर निर्भर करता है कि आप जिसकी प्रतिक्रिया ले रहे हैं, वह कहां खड़ा है, यानी उम्र के किस मोड़ पर खड़ा है? मसलन, हिंदी फिल्मों की अदाकारा सोनाली बेंद्रे अपनी बेटियों के साथ इस कार्यक्रम में पहुंचीं। कार्यक्रम के बाद उन्होंने ट्विटर पर कहा कि ‘यह पैसे की बर्बादी थी’। वहीं दूसरी ओर, कार्यक्रम में आज के दौर की सबसे लोकप्रिय अदाकारा आलिया भट्ट भी मौजूद थीं। आलिया भट्ट ने इस कार्यक्रम की जो प्रतिक्रिया इंस्टाग्राम पर दी है, वह बताती है कि आलिया ने इस शो का पूरा मजा लिया। सोनाली बेंद्रे और आलिया भट्ट की प्रतिक्रिया दो अलग-अलग अभिनेत्रियों की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि दो अलग-अलग पीढ़ियों की प्रतिक्रिया है। हमारे लिए यह थोड़ा अजीब जरूर है, क्योंकि हमारी मां जिन लता मंगेशकर के गानों को गुनगुनाती थीं, उन्हीं लता मंगेशकर के गाने हम भी गुनगुनाते हैं। पर पॉप संगीत में पीढ़ियां और चाहने वाले रातोंरात बदल जाते हैं। यह पश्चिमी पॉप संगीत में ही नहीं, हिन्दुस्तानी पॉप संगीत में भी होता है।
हालांकि अपने इस शो और अपनी भारत यात्रा से ही बहुत पहले जस्टिन बीबर की देश में चर्चा होने लगी थी। यह चर्चा उनके गीत-संगीत की नहीं थी, बल्कि उनकी जीवन शैली की थी। वह अपने साथ क्या लेकर आ रहे हैं? वह कैसे रहेंगे? उनकी मांगें क्या-क्या हैं? उनकी अरबपतियों वाली जीवन शैली को लेकर चर्चे दो सप्ताह पहले से ही होने लगे थे। कुछ लोग तो इसके चलते उन्हें सनकी भी करार देने लगे थे। सनक के कुछ ऐसे ही आरोप कभी माइकल जैक्सन पर भी लगते थे। आमतौर पर पश्चिम के पॉप स्टार इसी तरह की जीवन शैली से अपने आस-पास एक आभामंडल रचते हैं, जो युवा पीढ़ी में उनके प्रति एक दीवानगी पैदा करता है। भारत में भी उनकी यह रणनीति कामयाब रही, जिसका नतीजा था उनके शो में 45 हजार दर्शकों का जुटना।
यू-ट्यूब पीढ़ी के इस 23 वर्षीय गायक के प्रति भारत में इस कदर दीवानगी को आप सिर्फ पश्चिमीकरण या ग्लोबलाइजेशन की नजर से नहीं देख सकते। ऐसी ही दीवानगी माइकल जैक्सन को लेकर भी थी और उसके बहुत पहले कुछ हद तक बीटल को लेकर थी। अब एक बदलाव यह देखने में आया है कि ऐसे लोकप्रिय गायक और बैंड भारत को एक बाजार के रूप में देखने लग गए हैं, जहां एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी आर्थिक हैसियत वाली है, जो 76 हजार रुपये का टिकट लेकर शो देखने आ सकती है। अगर मई महीने में कनाडा के जस्टिन बीबर भारत आए हैं, तो उन्हीं की पीढ़ी के एक और लोकप्रिय गायक ब्रिटेन के एड शीरन नवंबर में यहां आ रहे हैं। अब जल्द ही उनकी सनक के चर्चे होने लगेंगे। मनोरंजन की दुनिया ऐसे ही चलती रहेगी।

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