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दोषियों को सजा

बिलकिस बानो बलात्कार मामले के 11 आरोपियों के खिलाफ बंबई हाईकोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखना ऐसे जघन्य मामलों में न्याय मिलने की उम्मीद जगाता है। यह ठीक है कि इस मामले में हाईकोर्ट का...

दोषियों को सजा
हिन्दुस्तानFri, 05 May 2017 11:25 AM
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बिलकिस बानो बलात्कार मामले के 11 आरोपियों के खिलाफ बंबई हाईकोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखना ऐसे जघन्य मामलों में न्याय मिलने की उम्मीद जगाता है। यह ठीक है कि इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला आने में 15 साल का समय लग गया। हालांकि भारतीय अदालतों में जिस तरह मामले दशकों तक लटके रहते हैं, उसे देखते हुए  15 साल कोई बहुत लंबा समय नहीं है। लेकिन यह 15 साल कितना लंबा समय है, इसे हमें बिलकिस बानो जैसी उन भुक्तभोगियों से समझना होगा, जिन्हें एक-एक दिन और यहां तक कि एक-एक पल तमाम दुश्वारियों, दुरभिसंधियों और हर तरह के विपरीत हालात के बीच गुजारने पड़ते हैं। कल्पना कीजिए कि घटना वाले दिन जिसके परिवार के ज्यादातर लोगों को मार दिया गया हो और जिसके साथ दर्जन भर लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया हो, उसकी बाकी जिंदगी कैसे गुजरेगी? वह भी उस समय जब पूरी व्यवस्था और पूरा तंत्र सुबूतों पर मिट्टी डालकर मामले को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जाने में जुटा हो। ऐसे में, दोषियों को सजा दिलाने के संकल्प को लगातार बनाए रखने के लिए बिलकिस बानो का जज्बा सचमुच तारीफ के काबिल है। बिलकिस बानो का यह मामला एक उदाहरण भी है, जो हमें बताता है कि सांप्रदायिक दंगों के दौरान अपराध करने वालों को बचाने के लिए कितने दरवाजे खुल जाते हैं और इसके शिकार लोगों को इंसाफ दिलाना किस कदर मुश्किल होता है। अदालत ने न सिर्फ बलात्कार के दोषियों की सजा को बरकरार रखा है, बल्कि उन पुलिस वालों और डॉक्टरों को भी दोषी पाया है, जिन पर सुबूतों से हेर-फेर के आरोप हैं।

इस मामले में उन सामाजिक कार्यकर्ताओं और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भी तारीफ करनी होगी, जिसने तमाम विपरीत हालात में मामले को यहां तक पहुंचाया। वरना एक समय तो ऐसा लगने लगा था कि यह मामला अदालत में ज्यादा ठहर नहीं सकेगा और कुछ एक सुनवाइयों के बाद ही दम तोड़ देगा। इस मामले में उम्मीद की किरण उसी समय दिखाई दी थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया कि पूरे मामले की सुनवाई गुजरात के बाहर होगी। और महाराष्ट्र में जब मामले की सुनवाई शुरू हुई, तभी पहली बार लगा कि यह मामला सचमुच अंजाम तक पहुंच पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने ही मामले को राज्य पुलिस से लेकर सीबीआई के हवाले किया था। सीबीआई ने केंद्रीय अपराध विज्ञान प्रयोगशाला और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों की एक टीम बनाकर सुबूतों को ठीक से जमा किया, जांचा-परखा और मामले को यहां तक पहुंचाया। 

बिलकिस बानो मामले में कई ताकतें सक्रिय हुईं और मामला यहां तक पहुंच पाया। ऐसा हर मामले में नहीं होता, इसलिए दंगों के दौरान लूटपाट, हत्या, आगजनी, बलात्कार और तमाम तरह के अपराध करने वाले असामाजिक तत्व अक्सर बच जाते हैं। ऐसी ताकतें हर मौके पर सामने आएं, यह संभव भी नहीं है। लेकिन ऐसी व्यवस्था बनाना संभव है, जिसमें हर दंगे के हर दोषी को सजा मिले और हर दंगे के हर पीड़ित को न्याय मिल सके। ऐसी व्यवस्था हमें एक न्याय आधारित समाज भी बनाएगी, और शांतिपूर्ण भविष्य की ओर भी ले जाएगी। इसके लिए कई तरह के राजनीतिक रसूख से लड़ना होगा, कई तरह की सांप्रदायिक सोच व वृत्तियों को खत्म करना होगा। साथ ही पुलिस व प्रशासन में सुधार करके ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जो राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हो। यह बिलकिस बानो मामले के दोषियों को सजा दिलाने से कहीं ज्यादा कठिन काम है।

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