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कुलभूषण जाधव को न्याय

नीदरलैंड की राजधानी हेग में पीस पैलेस के द ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले पर खुली सुनवाई के बीच उम्मीद की जानी चाहिए कि पाकिस्तान अपनी मनमानी पर शर्मिंदा होगा और जाधव के...

कुलभूषण जाधव को न्याय
हिन्दुस्तानMon, 15 May 2017 11:51 PM
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नीदरलैंड की राजधानी हेग में पीस पैलेस के द ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले पर खुली सुनवाई के बीच उम्मीद की जानी चाहिए कि पाकिस्तान अपनी मनमानी पर शर्मिंदा होगा और जाधव के लिए न्याय का रास्ता खुलेगा। 18 साल बाद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में सोमवार को जब भारत और पाकिस्तान एक बार फिर आमने-सामने थे, तो भारत ने साबित कर दिया कि पाकिस्तान ऐसे मामलों में कितना पूर्वाग्रही रवैया अपनाता है। भारतीय वकील हरीश साल्वे अदालत को बताने में सफल रहे कि पाकिस्तान ने इस मामले में किस तरह मानवाधिकारों ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन किया है। अदालत ने भी जिस तरह अपील के महज सात दिनों के अंदर सुनवाई शुरू कर दी, वह भी यह समझने के लिए पर्याप्त है कि उसने मामले को मेरिट पर पाया और यह भी कि यह सुनवाई पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने में सफल रही है। बिना किसी सुनवाई, बिना कोई मौका दिए, वियना संधि का सरासर उल्लंघन करते हुए पाकिस्तानी सैन्य कोर्ट द्वारा सुनाए गए फांसी के फैसले पर भारत ने तत्काल रोक लगाने की अपील की है। 

पाकिस्तान ने इस मामले में ऐसी कोई नजीर नहीं पेश की, जिससे माना जाए कि उसकी मंशा सही है और उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में आस्था है। उसने इस मामले में जिस तरह एकतरफा और चोरी-चोरी सब कुछ किया, वह उसकी मंशा बताने के लिए पर्याप्त है और यही उसके खिलाफ भी जाता है। जाधव को पाकिस्तान ने ईरान से जबरन उठाया और जासूस घोषित करके पिछले साल तीन मार्च को गिरफ्तार दिखा दिया। भारत को इसकी जानकारी पाकिस्तान मीडिया से मिली। तब से अब तक भारत ने कम से कम 16 बार जाधव के लिए राजनयिक सलाह (काउंसलर एक्सेस) की अपील की, लेकिन पाकिस्तान ने न इस पर कोई सुनवाई की, न जाधव की सेहत के बारे में बताना जरूरी समझा, बल्कि वहां के सैन्य कोर्ट ने अचानक फांसी की सजा सुना दी। नियमत: इस मामले की  चार्जशीट  व कानूनी प्रक्रिया भारत को सौंपी जानी चाहिए थी, मगर पाक इससे भी आनाकानी करता रहा। इस पूरे मामले की पाकिस्तान और उसकी सेना ने जिस तरह की पटकथा लिखी, उससे उसकी कुत्सित मनोदशा और इरादे की जानकारी मिलती है। कई बार तो यह भी लगता है कि पाकिस्तान यह सारा झूठ, अपने किसी बड़े फरेब को छिपाने के लिए गढ़ रहा है।  

पाकिस्तान और भारत 18 साल बाद फिर अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत (आईसीजे) में आमने-सामने हैं। पाकिस्तान ने भारत द्वारा 10 अगस्त 1999 को अपना एक विमान मार गिराने की शिकायत की थी, तब भारत में अटलजी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। इस बार जब भारत ने मामला उठाया है, देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की ही सरकार है। उस बार पाकिस्तान ने अपने नौसैनिक विमान में मौजूद सभी 16 नौसैनिकों की मृत्यु की बात करते हुए भारत से छह करोड़ अमेरिकी डॉलर का मुआवजा मांगा था और आईसीजे ने 14 के मुकाबले दो मतों से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था। कारगिल युद्ध के ठीक बाद के उस मामले में भारत का पक्ष मजबूत रहा था और पाकिस्तान का चेहरा जिस तरह बेनकाब हुआ था, उम्मीद  की जानी चाहिए कि भारत की 125 करोड़ जनता की भावनाओं के समक्ष पाकिस्तान एक बार फिर अपने झूठ और इरादे में बेनकाब होगा। जिस तरह 18 साल पहले इसी अदालत में वह झूठा साबित हुआ था, इस बार भी बेनकाब होगा और जाधव को न्याय मिलेगा। कुलभूषण जाधव एक बार फिर अपने लोगों के बीच वापस लौटेंगे।  

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