सुगमता की सूची में
कोई भी अच्छी खबर तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, जब वह तमाम आशंकाओं के बीच आई हो। विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट में भारत का 30 स्थान तक छलांग लगाना यह बताता है कि अर्थव्यवस्था और कारोबार के...
कोई भी अच्छी खबर तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, जब वह तमाम आशंकाओं के बीच आई हो। विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट में भारत का 30 स्थान तक छलांग लगाना यह बताता है कि अर्थव्यवस्था और कारोबार के हालात अभी उतने बुरे नहीं हैं, जितना कि कई मामलों में मान लिया गया है। पिछली कारोबार सुगमता रिपोर्ट में भारत 190 देशों की सूची में 130वें स्थान पर था। अब वह 100वें स्थान पर आ गया है। यह एक लंबी छलांग है, क्योंकि अभी कुछ समय पहले तक कारोबार सुगमता के मामले में दुनिया के 100 शिखर देशों में आना एक सपने की तरह ही माना जा रहा था। पिछले कुछ समय से आर्थिक क्षेत्र में तमाम आलोचनाओं की शिकार बन रही केंद्र सरकार को इस खबर से काफी राहत मिली होगी। लेकिन यही वक्त है, जब तेजी से आगे बढ़ना होगा। तत्काल लक्ष्य तो यह होना चाहिए कि अगली रिपोर्ट में भारत का नाम शिखर के 50 देशों में आ जाए। यह बहुत आसान नहीं है, लेकिन अगर केंद्र्र और राज्यों की सरकारें ठान लें, तो शायद उतना कठिन भी नहीं है। वैसे भारत का जो आकार है, और यहां जिस तरह की आबादी है, उसे देखते हुए बहुत सी समस्याएं तो तभी हल हो पाएंगी, जब भारत शिखर के अगर दस नहीं, तो कम से कम 20 देशों में तो गिना ही जाए।
यह सच है कि पिछले कुछ समय से देश में लगातार ऐसा हो रहा है, जो विदेशी निवेशकों के लिए आदर्श स्थिति है। जीएसटी जैसी कर व्यवस्था ने देश के कारोबारियों के लिए फिलहाल भले ही परेशानियां खड़ी की हों, लेकिन दुनिया भर के कारोबार इसे इस तरह देखते हैं कि भारत की कर व्यवस्था में एक तरह की पारदर्शिता आई है। यह ठीक है कि करों के विभिन्न स्लैब ने देश के कारोबारियों को काफी उलझाया है, लेकिन भारत ने एक ऐसी कर व्यवस्था तो अपनाई ही है, जो पूरी दुनिया को आसानी से समझ में आती है। हालांकि कारोबार की सुगमता में कर व्यवस्था बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में भी भारत ने जो व्यवस्था अपनाई है, वह काफी महत्वपूर्ण है। विश्व बैंक की रिपोर्ट भी कहती है कि भारत में कारोबार शुरू करना पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है। अब निर्माण की मंजूरी भी आसानी से मिलती है और कर्ज या निवेश हासिल करना भी पहले की तरह कठिन नहीं रहा। साथ ही दिवालिया निपटान के कानून ने भी भारत में निवेश की बहुत सी आशंकाओं को कम किया है। हालांकि कारोबार या इकाई लगाने के लिए जमीन प्राप्त करना अभी भी आसान नहीं है, लेकिन चीजें जिस तरह से आगे बढ़ रही हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि यह कठिनाई भी बहुत जल्द दूर होगी। यहां यह बात भी ध्यान रखने वाली है कि विश्व बैंक ने इस रिपोर्ट में सिर्फ दिल्ली और मुंबई का अध्ययन ही किया है। जाहिर है कि कारोबार की सुगमता को इन महानगरों से बाहर ले जाना भी एक चुनौती है। तरक्की के इस रास्ते को अखिल भारतीय बनाना होगा।
यह भी सच है कि किसी देश की आर्थिक मजबूती को कारोबार सुगमता रिपोर्ट में उसकी स्थिति से नहीं नापा जा सकता। आर्थिक मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि देश की उत्पादकता कितनी है और वह कितने रोजगार पैदा कर रही है। कारोबार सुगमता रिपोर्ट इसमें मदद जरूर कर सकती है, लेकिन रिपोर्ट से मिलने वाले लाभ को जनता तक पहुंचाना और बड़े पैमाने पर रोजगार देने वाले निवेश के लिए माहौल तैयार करना अतिरिक्त मेहनत की मांग करता है। अगर यह मेहनत न की गई, तो पहले की मेहनत पर पानी भी फिर सकता है। अभी तत्काल जरूरत यही है कि आर्थिक सुधारों के सिलसिले को जारी रखा जाए।