टेररिस्तान पाकिस्तान
जब चोर ही चोरी की गुहार लगाने लगे, तब न सिर्फ चोरी पकड़ी जाती है, वह हास्यास्पद भी बन जाता है। पाकिस्तान के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। उसे बार-बार मुंह की खानी पड़ रही है। धमकी देने वाले इस बयान पर कि...
जब चोर ही चोरी की गुहार लगाने लगे, तब न सिर्फ चोरी पकड़ी जाती है, वह हास्यास्पद भी बन जाता है। पाकिस्तान के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। उसे बार-बार मुंह की खानी पड़ रही है। धमकी देने वाले इस बयान पर कि उसने भारत के लिए सीमित असर वाले छोटे परमाणु बम तैयार कर रखे हैं, अभी वह लानत-मलामत झेल ही रहा था कि संयुक्त राष्ट्र में बड़बोलापन दिखाकर उसने अपनी गर्दन और फंसा ली। पाकिस्तान ने कल्पना भी नहीं की होगी कि उसे यूं अपमानित होना पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के झूठे और अनर्गल प्रलाप की भारत ने जिस तरह पोल-पट्टी खोली, उसे सुनकर पाकिस्तानी प्रतिनिधि भी सकते में दिखे। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में जिस तरह कश्मीर का पुराना राग अलापा, उससे यह तो जाहिर हुआ ही कि उसके पास कहने के लिए नया कुछ नहीं है, यह भी जाहिर हुआ कि वह किस तरह झूठ का पहाड़ खड़ा करके सहानुभूति बटोरना चाहता है। अपने देश को आतंकवाद का शिकार बताने वाले पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी के सारे प्रलाप को भारतीय प्रतिनिधि ने झूठ का पुलिंदा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारतीय प्रतिनिधि एनम गंभीर ने जिस तरह मुद्दावार पाकिस्तान की परतें उधेड़ीं, उसके बाद तय है कि पाकिस्तान को अपने यहां भी आलोचना का शिकार बनना पड़ेगा। भारत की यह दो टूक बहुत दूर तक असर करेगी कि जिस देश ने ओसामा बिन लादेन को संरक्षण दिया, जो मुल्ला उमर को अब भी पाल रहा है, वह खुद को किस तरह आतंकवाद से पीड़ित बता सकता है? यूएन में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और छल-कपट की उसकी कहानियां गढ़ने की आदत की जैसी पोल खुली, उसे उसका हर पड़ोसी जान-समझ चुका है। दरअसल पाकिस्तान की यही बेबसी है, जो अब उसके सच को भी सच मानने से रोकती है। पाकिस्तान अपने छोटे से इतिहास में विकास की अदना सी इबारत भले न गढ़ सका हो, आतंकवाद में उसने हर दिन नई इबारत गढ़ी है। पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए इससे बड़ा सबूत क्या होगा कि जिस लश्कर-ए-तैयबा को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है, उसी लश्कर का मुखिया हाफिज सईद अब पाकिस्तान में राजनीतिक दल का नेता बनने की तैयारी कर रहा है। जाहिर है, यह सब उसके पाकिस्तानी आकाओं की मिलीभगत से हो रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि के शब्द तल्ख थे, पर अंदाज संयत। इसमें गीदड़ भभकियों से न डरने वाले एक देश का आत्म-विश्वास बोल रहा था। इस बार की चेतावनी में कुछ ढका-छिपा नहीं, शब्दों की सीधी मार थी, जब पाकिस्तान को खुले शब्दों में टेररिस्तान का नया नाम मिला, जो साबित कर रहा था कि उसके आतंक की अब कहीं और से तुलना नहीं होगी, न ही वैश्विक आतंकवाद में उसकी भूमिका को झुठलाने के हालात हैं। भारत ने यह भी बता दिया कि पाकिस्तान को अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित होने की जरूरत है। यह समझने की जरूरत है कि वह अपनी गीदड़ भभकियों में दुनिया को तबाह करने का इरादा जितनी जल्दी हो त्याग दे, क्योंकि यह न सिर्फ दुनिया के लिए तकलीफदेह है, बल्कि असह्य भी। विश्व समुदाय को संबोधित करते हुए भारतीय प्रतिनिधि के ये शब्द बहुत मारक थे कि पाकिस्तान को अब सिर्फ यह समझाया जा सकता है कि सभ्यता, व्यवस्था, अमन के प्रति प्रतिबद्धता जताए बिना उसे साझा हितों से जुडे़ राष्ट्रों के संघ में स्वीकार्यता नहीं मिल सकती। उम्मीद है, पाकिस्तान इन शब्दों के पीछे छिपी मंशा की मजबूती को समझेगा।