सवाल रूटीन का
वह रात के 12 बजे उठती है। खाना बनाया, इसके बाद गाय-भैंसों के लिए चारा काटा। बज गए चार। चल पड़ी खेतों में, फसल कटाई का जो मौसम है। दिन के 10 बजे तक खेतों में कटाई की, फिर तेज धूप होते-होते घर लौटी।...
वह रात के 12 बजे उठती है। खाना बनाया, इसके बाद गाय-भैंसों के लिए चारा काटा। बज गए चार। चल पड़ी खेतों में, फसल कटाई का जो मौसम है। दिन के 10 बजे तक खेतों में कटाई की, फिर तेज धूप होते-होते घर लौटी। खाकर सो गई। शाम चार बजे फिर खेतों की ओर...
वह सुबह चार बजे उठती है। चार बच्चों के लिए रोटी-सब्जी बनाई, बनाते-बनाते सात बज गए, उन्हें स्कूल भेजा, और फिर चल पड़ी घर में काम करने के लिए...
वह उठती है सुबह छह बजे। बच्चे का लंच पैक किया, बस्ता ठीक किया, स्कूल भेजा, साढ़े आठ बज गए। रात में काम अधूरा रह गया था और 10 बजे तक उसे टारगेट टाइम के भीतर देना है। फटाफट लैपटॉप पर काम करने बैठी। फिर खाना बनाने उठी। फिर काम आ गया, तो लैपटॉप ऑन किया, बेहद जरूरी काम है, दो घंटे में देना है। करते-करते चार बज गए। काम मेल करके खाना खा पाई...
एक ग्रामीण स्त्री, एक मध्यमवर्गीय घरेलू, एक वर्किंग वूमन। तो क्या रूटीन है इनकी? क्या दिनचर्या है इनकी या ऐसे पुरुषों की? इनकी दिनचर्या घड़ी से नहीं, काम से संचालित होती है। जो लोग रूटीन ठीक करो-रूटीन ठीक करो चिल्लाते हैं, वे कौन हैं? शायद सुविधासंपन्न, मजबूत स्थिति वाले लोग, क्योंकि मेहनतकश वंचितों, कमजोरों, मजदूरों, ्त्रिरयों का कोई रूटीन नहीं होता।