हिन्दुस्तानी मुसलमान
भारत में हिंदुओं और मुसलमानों ने अन्य समुदायों के साथ मिलकर स्वाधीनता संग्राम लड़ा, संसदीय जनतंत्र चुना। इन्होंने हमेशा भारत के संविधान को माना और संसदीय लोकतंत्र को पुख्ता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका...
भारत में हिंदुओं और मुसलमानों ने अन्य समुदायों के साथ मिलकर स्वाधीनता संग्राम लड़ा, संसदीय जनतंत्र चुना। इन्होंने हमेशा भारत के संविधान को माना और संसदीय लोकतंत्र को पुख्ता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बावजूद मुसलमानों के विकास के लिए लोकतंत्र में जिस तरह की सुविधाएं और समान अवसर होने चाहिए, मनमोहन सरकार के पहले तक किसी सरकार ने इसका ख्याल नहीं किया। यूपीए सरकार ने ही मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 15सूत्री कार्यक्रम लागू किया। भारत के मुसलमान बाकी दुनिया के मुसलमानों से वैचारिक तौर पर भिन्न रहे हैं, और यह वैचारिक भिन्नता आधुनिक काल में ही नहीं दिखती, बल्कि मध्यकाल में भी दिखती है। बाकी दुनिया के मुस्लिम शासकों और भारत के मध्यकालीन मुस्लिम शासकों के विचारों में बुनियादी अंतर है, इसके कारण आधुनिक काल में भी मुसलमानों में अंतर चला आया, बाद में आधुनिक काल के मुस्लिम विचारकों और स्वाधीनता सेनानी मुसलमानों ने बाकी समाज के साथ मिलकर उदारतावाद को मजबूत बनाने और देश में उदार माहौल बनाने का फैसला किया, यह परंपरा बाकी दुनिया के मुस्लिम देशों में नजर नहीं आती। इसलिए देश में मुस्लिम विरोधी रूढ़िबद्ध प्रचार अभियान को एक सिरे से ठुकराने की जरूरत है।