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Hindi News ओपिनियन साइबर संसारवह गाएं और नोट न बरसे

वह गाएं और नोट न बरसे

कहा जाता है कि महान गायक तानसेन जब मेघ-मल्हार छेड़ते थे, तो आसमान से बारिश होने लगती थी। तानसेन का तो पता नहीं, लेकिन एक ऐसे गायक को जरूर हम देख सकते हैं, जिसके गाते ही पानी की नहीं, पैसों की बारिश...

वह गाएं और नोट न बरसे
सत्याग्रह में अंजलि मिश्राTue, 18 Jul 2017 12:07 AM
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कहा जाता है कि महान गायक तानसेन जब मेघ-मल्हार छेड़ते थे, तो आसमान से बारिश होने लगती थी। तानसेन का तो पता नहीं, लेकिन एक ऐसे गायक को जरूर हम देख सकते हैं, जिसके गाते ही पानी की नहीं, पैसों की बारिश होने लगती है। कीर्तिदान गढ़वी एक गुजराती लोकगायक हैं, जो जब भी गाते हैं, नोट बरसते हैं। कीर्तिदान सबसे पहले नोटबंदी के दौरान तब चर्चा का विषय बने, जब उन पर दो-दो हजार के नोटों की बरसात हुई। बीते जून में गोरक्षा के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में पैसों की ऐसी ही बारिश से उन्होंने करीब साढ़े चार करोड़ रुपये इकट्ठा किए। असल में, गुजराती समाज सामाजिक उद्देश्यों के लिए ‘डायरो’ नाम के समारोह का आयोजन करता है। डायरो में शामिल कलाकारों पर जमकर पैसे बरसाए जाते हैं। हालांकि इस तरह से जो पैसे जमा होते हैं, वे कलाकार को नहीं दिए जाते, वे उस सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए खर्च किए जाते हैं, जिसके लिए डायरो का आयोजन किया जाता है। डायरो में हिस्सा लेने वाले कलाकारों को उनकी फीस दी जाती है। कीर्तिदान गुजरात के लोकप्रिय सितारों में से एक हैं। उनके गाने हर गरबा उत्सव में धूम मचाते हैं। चूंकि गुजराती समाज देश से बाहर भी काफी संख्या में है, कीर्तिदान गढ़वी की कीर्ति दुनिया के कई देशों में फैली हुई है।

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