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सपने सुहाने बचपन के

छोटे बच्चों से आम तौर पर एक सवाल पूछा जाता है, ‘बेटे, बड़े होकर क्या बनोगे?’ बच्चों के जवाब अलग-अलग होते हैं- डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर, सैनिक, एक्टर, क्रिकेटर, सुपरमैन। उनकी महत्वाकांक्षाएं...

सपने सुहाने बचपन के
ध्रुव गुप्त की फेसबुक वॉल सेThu, 16 Nov 2017 10:20 PM
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छोटे बच्चों से आम तौर पर एक सवाल पूछा जाता है, ‘बेटे, बड़े होकर क्या बनोगे?’ बच्चों के जवाब अलग-अलग होते हैं- डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर, सैनिक, एक्टर, क्रिकेटर, सुपरमैन। उनकी महत्वाकांक्षाएं समय-समय पर बदलती भी रहती हैं। लेकिन अगर आप जीवन का अधिकांश देख चुके किसी प्रौढ़ या वृद्ध से पूछिए कि उसे मौका मिले, तो क्या बनना चाहेंगे? आपको बस एक ही जवाब मिलेगा- बच्चा! कुछ तो जादू था उस बचपन में कि जीवन के आखिरी पड़ाव पर आकर हम सब बचपन में लौट जाना चाहते हैं। 

सोचने में भले ही यह असंभव लगता है, लेकिन देह के साथ न सही, मन के साथ बचपन में वापसी बहुत मुश्किल भी नहीं है। दिन में कुछ घंटे छोटे बच्चों के साथ खेलिए और उन्हीं जैसी हरकतें कीजिए! रात में कमरा बंद करिए और उम्र भर का पढ़ा-सीखा ताक पर रखकर थोड़ी देर बच्चों की तरह उछल-कूद या नाच-वाच कर लीजिए। हाथ-पांव में गठिया है या आपकी हड्डियां थोड़ी कमजोर हैं, तो इसे छोडिए, बस बिस्तर पर लेटकर कुछ देर मचलिए, लोट-पोट कीजिए, हाथ-पांव पटकिए और फिर दोनों हाथ उठाकर मन ही मन जोर से चिल्लाइए- मां! दो मिनट में आप बच्चे न बन गए, तो फिर कहिएगा? हमारे अनुभवी पुरखे ऐसे ही थोडे़ कह गए हैं, ‘बूढ़े-बच्चे एक समान।’

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