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क्रिकेट बनाम जिंदगी

क्रिकेट देखते हुए कई बार मैं दार्शनिक हो उठता हूं। लगता है कि मेरी जीवन-व्यक्तिगतता या सभ्यता की सामूहिकता ही तो इस खेल में घटित हो रही है और हम ही दर्शक हैं। जीत-हार, हर्ष-विषाद के बीच मैंने एक दिन...

क्रिकेट बनाम जिंदगी
हिन्दुस्तानSun, 18 Jun 2017 10:38 PM
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क्रिकेट देखते हुए कई बार मैं दार्शनिक हो उठता हूं। लगता है कि मेरी जीवन-व्यक्तिगतता या सभ्यता की सामूहिकता ही तो इस खेल में घटित हो रही है और हम ही दर्शक हैं। जीत-हार, हर्ष-विषाद के बीच मैंने एक दिन सोचा कि बहुत हुआ, अब संन्यास लेता हूं। क्या गौतम इसी मन:स्थिति में घर से नहीं निकल पडे़ थे! क्रिकेट से क्या सीखते हैं- संभलकर खेलना चाहिए। असावधानी से विकेट गंवा बैठोगे, लेकिन तुम्हारे पास दस विकेट हैं। दस मौके, जहां से जीवन के खेल को फिर से ऊपर उठा सकते हो। सचिन अपने खेल को एन्जॉय करते हैं। सफल क्रिकेटरों के बारे यही बात कही गई है। तुम जीवन को एन्जॉय करते हो, तो तुम सफल होगे। जीवन का प्रत्येक मुकाबला तुमसे एक योजना व रणनीति मांगता है। अपने पर ऐतबार रखो और स्वाभाविक खेल खेलो। अंतत: जीवन एक खेल है, जिसमें हार या जीत मिलती है। पीछे छोड़ो और आगे बढ़ो। उसने खुद के लिए खेला, टीम के कम काम आया। क्रिकेट की ऐसी आलोचनाओं से यह सीखने को मिलता है कि अपना जीवन जीते हुए भी एक इकाई मनुष्य और इकाई नागरिक के रूप में तुम्हारे कुछ कर्तव्य हैं, जिनसे तय होता है कि तुमने कैसा जीवन जिया? क्रिकेट सिखाता है कि तुम कोई और हो जाने की कुंठा में नहीं जी सकते। तुम तुम हो, तुम्हारी अपनी खूबियां व योगदान हैं।
शायक आलोक की फेसबुक वॉल से

 

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