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दिल्ली क्यों पिछड़ी

दिल्ली क्यों पिछड़ी मीडिया की खबरों के मुताबिक, स्वच्छता के मामले में दिल्ली चमक नहीं पाई, जबकि हिन्दुस्तान का शीर्ष नेतृत्व यहीं पर रहता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि सबकी यह चाहत है कि दिल्ली...

दिल्ली क्यों पिछड़ी
हिन्दुस्तानThu, 15 Jun 2017 08:55 PM
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दिल्ली क्यों पिछड़ी
मीडिया की खबरों के मुताबिक, स्वच्छता के मामले में दिल्ली चमक नहीं पाई, जबकि हिन्दुस्तान का शीर्ष नेतृत्व यहीं पर रहता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि सबकी यह चाहत है कि दिल्ली साफ-सफाई के मामले में नंबर-एक शहर बने। सबकी इस लिहाज से नागरिक जिम्मेदारी भी है। यदि हम पुरानी दिल्ली के इलाके पर नजर डालें, तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि इसे स्वच्छ एरिया बनने में काम से कम 10-15 साल लगेंगे। कारण? दरअसल, यहां रहने वालों की मानसिकता इसके लिए जिम्मेदार है, फिर सरकार की विकास संबंधी गतिविधियां भी ढीली-ढाली हैं। अगर दिल्ली सरकार मेट्रो को ध्यान में रखकर साफ-सफाई का कार्य करे, तो दो-तीन साल में ही दिल्ली नंबर-एक राज्य बन सकती है। पर क्या दिल्ली सरकार सभी विवाद छोड़कर इस ओर कदम बढ़ाएगी?
गुप्ता दाड़ीवाला, सदर बाजार, दिल्ली-06

यह कैसी पत्रकारिता
आज के कारोबारी दौर में मिशन पत्रकारिता की उम्मीद तो कोई नहीं करता, मगर भारतीय मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस गैर-पेशेवर तरीके से पत्रकारिता कर रहा है, उससे कई बार संदेह होता है कि क्या सचमुच यह एक गंभीर पेशा है? ऐसा लगता है कि सभी चैनलों का अपना एजेंडा है। ज्यादातर सरकारी भोंपू से भी ज्यादा सरकारी दिखते हैं, तो कोई-कोई चैनल देखकर ऐसा लगता है कि सरकार की मुखालफत करना ही पत्रकारिता है। मैं पत्रकारिता का छात्र नहीं, मगर मैंने इस विधा से जुड़े महान लोगों की शख्सियत और कर्म के बारे में पढ़ा है। उनके बरक्स आज के न्यूज एंकर्स और रिपोर्टरों को देखता हूं कि इन्हें तो इस पेशे का क, ख, ग भी शायद नहीं आता। कुछ दिनों पूर्व देश की एक तेजतर्रार एंकर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का ऐसे इंटरव्यू कर रही थी, मानो वह गली का नेता हो। माना पाकिस्तान हमारा दुश्मन देश है, मगर एक पत्रकार कैसे अपनी मर्यादा छोड़ सकता है? दरअसल, सनसनी बेचने वाले खबरिया चैनलों का पत्रकारिता से कोई सरोकार नहीं रह गया है। अब थोड़ी-बहुत उम्मीद प्रिंट मीडिया से ही है, हालांकि उसमें भी कई तरह की विकृतियां आने लगी हैं।
देवेंद्र राज सहनी,  रातू रोड, रांची

फ्लाईओवर पर बस स्टॉप
अंबाला से चंडीगढ़ जाते हुए जब आप लालडू के फ्लाईओवर पर पहंुचेंगे, तो देखेंगे कि दाएं और बाएं, दोनों तरफ सवारियों का जमघट लगा है। ये फ्लाईओवर के ऊपर ही रुकने वाली सरकारी व निजी बसों की सवारियां होती हैं। ये यात्री फ्लाईओवर पर सड़क भी क्रॉस करते हैं, जो कि बेहद खतरनाक है। फ्लाईओवर के इस बस स्टॉप को दुर्घटना के लिहाज से अंबाला-चंडीगढ़ एक्सप्रेस-वे का सबसे संवेदनशील जगह चिह्नित किया जा सकता है। समझ से परे है कि सड़क और परिवहन विभाग ने इसकी इजाजत कैसे दे दी? राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पंजाब सरकार को बस मुसाफिरों की सुरक्षा के मद्देनजर इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।
अक्षित तिलक राज गुप्ता,  रादौर, हरियाणा 

भू-माफियाओं पर लगाम
योगी सरकार ने अपने चुनावी वादों में भू-माफिया के खिलाफ कडे़ कदम उठाने की बात कही थी। एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स इस दिशा में लगातार काम कर रही है। अब तक राज्य में कई भू-माफियाओं की जानकारी मिली है, जिसमें भाजपा सहित कई दलों के नेता भी शामिल हैं। खबर ऐसी भी आई है कि कुछ भू-माफियाओं पर गुंडा ऐक्ट लगाया गया है। अब इसमें सच्चाई जो भी हो, मगर यह साफ है कि सरकार भू-माफियाओं को नियंत्रण में लाने को लेकर गंभीर है। योगी सरकार ने पहले इस दिशा में काम करने की बात कही थी, लेकिन अब देखना यह है कि वह इन भू-माफियाओं के खिलाफ कौन सा कदम उठाती है, क्योंकि इसके कुछ दाग भारतीय जनता पार्टी के लोगों पर भी लगते दिख रहे हैं।
प्रीति दुबे, दिल्ली विश्वविद्यालय

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