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रुकेंगे सड़क हादसे

रुकेंगे सड़क हादसे उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी बसों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए एक बढ़िया फैसला लिया है। सरकार ने यात्रियों से गुजारिश की है कि यदि वे ड्राइवरों को बस चलाते समय मोबाइल पर बात...

रुकेंगे सड़क हादसे
हिन्दुस्तानFri, 16 Jun 2017 09:46 PM
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रुकेंगे सड़क हादसे
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी बसों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए एक बढ़िया फैसला लिया है। सरकार ने यात्रियों से गुजारिश की है कि यदि वे ड्राइवरों को बस चलाते समय मोबाइल पर बात करते देखें, तो उनकी फोटो खींचकर वाट्सएप के माध्यम से विभाग को भेज दें। ऐसा करने वाले यात्रियों को इनाम तो दिया ही जाएगा, संबंधित ड्राइवर पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। स्पष्ट है कि अब सरकारी बसों के ड्राइवर बस चलाते समय मोबाइल पर बात करने से डरेंगे। इससे निश्चय ही उनका ध्यान नहीं भटकेगा और सड़क हादसों में कमी आएगी। यदि सरकार यही नियम निजी बस और कार चलाने वालों पर भी लागू कर दे, तो सड़क हादसों में भारी कमी आ सकती है। क्या योगी सरकार इस पर भी गंभीरता से विचार करेगी?
बृजेश श्रीवास्तव, गाजियाबाद

आप का भविष्य 
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने विकास के जो काम किए हैं, वे सराहनीय हैं। एक नई पार्टी, जिसे राजनीति का अनुभव नहीं हो, उसने यदि लोगों का भरोसा जीता हो, तो यह उस पार्टी के उज्ज्वल भविष्य का संकेत माना जाएगा। मगर समय के साथ आम आदमी पार्टी में कुछ कमियां भी उभरकर सामने आई हैं, नतीजतन पार्टी बिखराव की ओर अग्रसर हो गई है। सत्ता मिलने के बाद पार्टी के नेताओं में जिस संयम की अपेक्षा थी, उसका भी अभाव दिखा है। इस कारण विरोधी पार्टियों को इसे घेरने का बेवजह का मुद्दा मिल गया। मेरा मानना है कि सत्ता किसी को भी अहंकारी बना सकती है, मगर कुर्सी मिलने के बाद यदि जनता की सोच के साथ आगे बढ़ा जाए, तो कोई भी पार्टी दूर तलक जा सकती है। इससे स्वाभाविक तौर पर देश व समाज को फायदा होता है। आम आदमी पार्टी से ऐसी ही उम्मीद है।
श्रीराम, रावता मोड़, नई दिल्ली

दहेज और बेटियां 
हाल ही में खबर पढ़ी कि एक नवविवाहिता दहेज के विरोध में अपने ससुराल वालों के खिलाफ उनके घर के बाहर ही धरने पर बैठ गई। यह वास्तव में एक साहसिक और सराहनीय कदम है। आखिर यह कैसी प्रथा है, जिसमें बेटियों को पालो, पढ़ाओ और कामयाब भी कर दो, फिर भी दहेज दो। एक समय था, जब पिता अपनी बेटी को विवाह के समय आशीर्वाद के रूप में स्वेच्छा से कुछ उपहार दिया करते थे, मगर समय के साथ यह प्रथा कुप्रथा में बदल गई। आज लोग संभवत: दहेज को प्रतिष्ठा से जोड़ने लगे हैं। आखिर यह सोच कैसे बदलेगी? यह बदलाव तभी संभव है, जब देश की बेटियां खुद इसके खिलाफ खड़ी होंगी। मां-बाप को भी चाहिए कि बेटियों को इस काबिल बनने दें कि वे समाज को बदल सकें। 
दीप शिखा चौहान, कासगंज, यूपी

डॉक्टरों की कमी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा है कि सूबे में पांच लाख डॉक्टरों की कमी है। सही है, मगर सवाल यह है कि यह कमी दूर कैसे हो? लाख जतन कर लें, लाखों रुपये खर्च करके एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले डॉक्टर गांव-कस्बों में जाने को शायद ही तैयार होंगे। ऐसे में, यदि वास्तव में डॉक्टरों की कमी दूर करनी है, तो ‘जूनियर इंजीनियर’ की तरह ‘जूनियर डॉक्टर’ का भी कैडर बनाया जाए। प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में ‘इंटर बायो’ वाले छात्रों के लिए दो से तीन साल का ‘जूनियर डॉक्टर’ डिप्लोमा कोर्स शुरू हो। कोर्स के दौरान छात्र डेढ़ से दो साल किसी अस्पताल में प्रयोगात्मक अनुभव प्राप्त करें। इनमें सफल होने के बाद गंभीर बीमारियों को छोड़कर इन्हें सभी रोगों के इलाज का अधिकार मिले। ये जूनियर डॉक्टर नौकरी की मांग नहीं करेंगे, क्योंकि ये जिस गांव-कस्बे के होंगे, वहीं प्रैक्टिस करना पसंद करेंगे। इससे स्वाभाविक तौर पर डॉक्टरों की कमी दूर होगी और गांव-कस्बों में जड़ जमा चुके झोलाछाप डॉक्टरों का जाल भी टूटेगा।
जितेन्द्र अग्रवाल,  स्वामीपाड़ा, मेरठ

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