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बढ़ती जनसंख्या

बढ़ती जनसंख्या  संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में ‘विश्व आबादी संभावना रिपोर्ट-2017’ जारी किया है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि सन 2100 तक विश्व की आबादी 11.2 अरब हो जाएगी। इस...

बढ़ती जनसंख्या
हिन्दुस्तानThu, 13 Jul 2017 09:32 PM
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बढ़ती जनसंख्या 
संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में ‘विश्व आबादी संभावना रिपोर्ट-2017’ जारी किया है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि सन 2100 तक विश्व की आबादी 11.2 अरब हो जाएगी। इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि 2050 तक भारत की जनसंख्या 1.66 अरब हो जाएगी और 2024 तक भारत विश्व की सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। माल्थस ने कहा था कि ‘प्रकृति की मेज सीमित अतिथियों के लिए ही लगी है, इसलिए जो बिना निमंत्रण के आएगा, उसे भूखों मरना पड़ेगा।’ जब यह निश्चित है कि संसाधन सीमित है और बढ़ती जनसंख्या इन्हीं सीमित संसाधनों पर निर्भर है, तो जरूरत यही है कि विकासशील देश जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय को धरातल पर उतारें। यह तभी संभव है, जब विकसित देश भी इसमें विकासशील देशों की मदद करेंगे। यदि अब भी ठोस प्रयास नहीं किया गया, तो भविष्य में जनसंख्या वृद्धि के भयंकर नतीजे सामने आ सकते हैं, जिससे पार पाना काफी कठिन होगा।
रीना गुप्ता, मऊ, उत्तर प्रदेश

बंद हो द्विअर्थी गानें
आधुनिकता और खुलेपन के नाम पर भोजपुरी के नए गाने में इस्तेमाल होनेवाले दो अर्थवाले शब्द गायकी के स्तर को निचले पायदान पर तो पहुंचा ही रहे हैं, देश की संस्कृति में भी जहर घोल रहे हैं। क्षेत्रीय गायकी की इस प्रवृत्ति ने अश्लीलता की तमाम सीमाएं पार कर दी है। यह सही है कि कुछ कुंठित मानसिकता वाले लोग इन गानों को पसंद कर रहे हैं, पर सवाल किसी की पसंद या नापसंद का नही हैं, बल्कि इन गानों से स्त्री की उकेरी जाती अशालीन छवि का है। ऐसे गाने अश्लील ही नहीं होते, हिंसक प्रवृत्ति को उकसाने वाले और औरत को वस्तु के रूप में पेश करने वाले होते हैं। इस तरह की प्रवृत्ति को खत्म करने की जरूरत है। भोजपुरी भाषा की उपयोगिता बचाने के लिए भी इस तरह के गानों पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
अंकित कुमार मिश्र, भदोही

चुनाव आयुक्त का चयन
यह वाकई हैरान करने वाली जानकारी है कि आज तक मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन सत्ताधारी दल ही करता है। मुख्य चुनाव आयुक्त का पद बेहद जिम्मेदारी भरा है। देश में होने वाले छोटे-बड़े तमाम चुनावों को स्वच्छ व पारदर्शी तरीके से पूरा करना इसकी जिम्मेदारी होती है। ऐसे में, इस महत्वपूर्ण पद पर बैठने वाले व्यक्ति का चयन सिर्फ केंद्र के सत्ताधारी दल के द्वारा ही किया जाएगा, तो यह ठीक बात नहीं है। इससे चुनाव आयुक्त की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ सकती है। यह अच्छी बात है कि अब तक किसी चुनाव आयुक्त ने पक्षपात नहीं किया है, मगर भविष्य की जिम्मेदारी कोई नहीं ले सकता। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने यह उचित ही केंद्र सरकार से पूछा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कोई कानून क्यों नहीं है? वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब इस मसले पर चर्चा छिड़ी है। मगर हर बार यह बहस ठंडे बस्ते में डाल दी गई, जिसमें एनडीए के साथ-साथ यूपीए सरकार भी जिम्मेदार रही है। अब देखना यह है कि इस बार क्या यह मसला अंजाम तक पहुंचता है, या फिर दो-चार दिनों की बहस के बाद मामला शांत हो जाएगा?
नितीश कुमार,  मऊ, उत्तर प्रदेश

नवाचार और विकास 
भारत की गिनती आज विश्व की तेजी से मजबूत होती अर्थव्यवस्थाओं में होती है और यह एक बड़ी शक्ति बनने की ओर भी अग्रसर है। ऐसे में देश और अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाने की सख्त जरूरत है। जीएसटी भी इन्हीं सुधारों में से एक है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। यह समझना होगा कि समय के साथ-साथ नवाचार अपनाने से व्यवस्था मजबूत होती है। इसीलिए कर सुधार की दृष्टि से केंद्र सरकार का मौजूदा कदम काफी उल्लेखनीय है। अब हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हम देश के विकास में भागीदार बनें और इस नई कर-व्यवस्या को सफल बनाएं।  
शुभम कौशिक

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