फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन मेल बॉक्सदेर आए, दुरुस्त आए

देर आए, दुरुस्त आए

देर आए, दुरुस्त आए दीपावली की कल्पना बिन पटाखों के करना विचित्र तो है, मगर जब जान पर बन आई हो, तो सुप्रीम कोर्ट के पटाखों की बिक्री पर रोक के कदम का स्वागत होना ही चाहिए। बात सिर्फ पटाखों से फैलने...

देर आए, दुरुस्त आए
हिन्दुस्तानWed, 11 Oct 2017 10:15 PM
ऐप पर पढ़ें

देर आए, दुरुस्त आए
दीपावली की कल्पना बिन पटाखों के करना विचित्र तो है, मगर जब जान पर बन आई हो, तो सुप्रीम कोर्ट के पटाखों की बिक्री पर रोक के कदम का स्वागत होना ही चाहिए। बात सिर्फ पटाखों से फैलने वाले प्रदूषण की नहीं है। दिवाली के दिन आग लगने और खासकर बच्चों को गंभीर चोट लगने की खबरें भी सुर्खियां बनती हैं। महज अपना शौक पूरा करने या प्रतिष्ठावश अपनी अमीरी के दिखावे में बुजुर्गोें और मरीजों की जान को ताक पर रख देना समझदारी नहीं है। वैसे भी स्कूलों में पटाखे रहित दीपावली की मुहिम पिछले कुछ वर्षों से चल रही है, जिसके कारण बच्चे अब जागरूक हुए हैं। फिर बात सिर्फ दीपावली की नहीं, दूसरे त्योहारों की भी है। होली भी रसायनयुक्त रंगों के प्रयोग से हानिकारक परिणाम देती है। व्यापार और व्यवसायीकरण में फंस चुके हमारे इन त्योहारों की मूल भावना को हमें समझना होगा। समय की मांग के अनुरूप इनके स्वरूप को हमें बदलना ही होगा।
तरुण भसीन, दिल्ली

बदलाव की उम्मीद
नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। अब ऐसा संबंध बनाना रेप माना जाएगा। सवाल यह है कि जब 18 साल की कम उम्र की नाबालिग के साथ विवाह करना कानूनी जुर्म है, तो संबंध बनाना भी गलत होना चाहिए था? मगर ऐसा नहीं था। इसलिए अदालत का यह फैसला सराहनीय तो है, पर देर से आया है। अगर पहले आ चुका होता, तो देश में बाल विवाह में कमी आ गई होती। ऐसी शादियां गांवों में ही नहीं, शहरों में भी होती हैं। बहरहाल, उम्मीद यही है कि इस फैसले से समाज में बदलाव आएगा। समाज अब सही दिशा में आगे बढ़ेगा।
कंचन

सत्ता का रुख
मंगलवार को प्रकाशित विभूति नारायण राय का तथ्यपरक आलेख पाकिस्तान में संभावित सैनिक शासन के जिन तीन विकल्पों की बात करता है, उनमें से सीधे तख्तापलट की बजाय किसी कठपुतली प्रधानमंत्री के माध्यम से शासन चलाने का विकल्प बेहतर लगता है। इसकी संभावना भी अधिक है। इसका कारण यह है कि ऐसी स्थिति में अमेरिका से मिलने वाली अरबों डॉलर की मदद पर खतरा नहीं रहेगा और मध्ययुगीन खलीफाओं की मानसिकता में जीने वाले फौजी जनरलों के ऐशोआराम में कोई कमी नहीं आएगी। वैसे भी फौजी हुक्मरान शायद ही सोने का अंडा देने वाली मुरगी को हलाल करें।
नरसिंह, मयूर विहार-1, मेरठ

फुटपाथों का हाल
कई कारणों से देश की सड़कें और फुटपाथ पहले ही जानलेवा बने हुए हैं, जिससे जान-माल की भारी क्षति होती है। इससे विकास भी बाधित होता है और धन की बर्बादी अलग से होती है। आज-कल केंद्र और दिल्ली सरकार फुटपाथों के निर्माण में टाइल्स का प्रयोग कर रही है। यह कई कारणों से गलत है। इनका सही से समतल न होना, कई जगह धंस जाना और धंसे हुए गड्ढों में पानी भरना दुर्घटना को न्योता तो देता ही है, टाइल्स के बीच की जगहों में घास आदि भी उग जाती हैं, जिससे सफाईकर्मी ठीक से झाड़ू नहीं लगा पाते। इसलिए फुटपाथ सीमेंट से बने होने चाहिए और समतल रहने चाहिए।
वेद मामूरपुर, नरेला

सही नियुक्ति
फिल्म ऐंड टीवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के नए चेयरमैन के तौर पर अनुपम खेर की नियुक्ति स्वागतयोग्य है। अनुपम खेर के पास एक लंबा अनुभव है। उन्होंने 500 से ज्यादा फिल्में और थियेटर नाटकों में काम किया है। इसीलिए उम्मीद है कि हाल में इस संस्था को लेकर जो विवाद उभरे थे, उससे अनुपम खेर आगे बढ़ने में कामयाब होंगे। अपने काले दिनों से यह संस्था जितनी जल्दी बाहर निकल जाए, देश की कला-जगत के लिए उतना ही बेहतर है।
गोविंद, वैशाली, गाजियाबाद

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें