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बेजा आलाप

एक तरफ केंद्र सरकार तीन वर्ष पूरे होने पर जश्न मना रही है। वहीं कांग्रेस आदतन कमियां निकालने में व्यस्त है। जहां पार्टी ने ‘तीन साल-तीस तिकड़म’ नाम से वीडियो जारी किया है, वहीं कांग्रेस...

बेजा आलाप
हिन्दुस्तानWed, 17 May 2017 10:36 PM
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एक तरफ केंद्र सरकार तीन वर्ष पूरे होने पर जश्न मना रही है। वहीं कांग्रेस आदतन कमियां निकालने में व्यस्त है। जहां पार्टी ने ‘तीन साल-तीस तिकड़म’ नाम से वीडियो जारी किया है, वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष ने तंज कसते हुए ट्वीट किया- टूटे वायदों, निकम्मापन और जनादेश के साथ विश्वासघात के तीन साल। लगता है कि उपाध्यक्ष साहब दूसरों की कमियां निकालने में इतने मशगूल हो गए हैं कि उन्हें अपनी पार्टी द्वारा कॉमनवेल्थ खेलों व 2-जी स्पेक्ट्रम आदि में किए गए भ्रष्टाचार याद नहीं रहे। यह माना जा सकता है कि एनडीए सरकार में भी कुछ कमियां हैं। बावजूद इसके इन तीन वर्षों में जीएसटी बिल पास हुआ, नोटबंदी जैसे कड़े फैसले लिए गए, उज्ज्वला जैसी योजनाएं शुरू हुईं और तरक्की व विकास के काम हुए। संभव हो, तो विपक्षी दलों को सिर्फ आलोचना करने की बजाय सरकार के कामों में हाथ बंटाना चाहिए। इससे  जनता का भला होगा और उनका भी।
ऊषा यादव, ख्याला गांव, नई दिल्ली

ताकि स्वच्छ रहे भारत
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को साफ और स्वच्छ बनाने को लेकर योजना चला रहे हैं। आम लोगों की सहभागिता के बिना यह योजना भला कैसे सफल हो सकती है? आज भी न जाने कितनी जगहों पर कूड़ा पड़ा हुआ दिख जाता है। स्थिति यह है कि नगर निगम द्वारा हर चौराहे पर डस्टबीन रखे जाने के बाद भी कुछ लोग कूड़ा बाहर ही फेंक देते हैं। अगर हम खुद ही अपने देश को विदेश की तरह साफ देखना चाहते हैं, तो हमें अपने देश को साफ रखने का प्रण लेना होगा। कोई भी काम सिर्फ सरकार के भरोसे पूरा नहीं हो सकता। अगर हम ईमानदारी से अपनी भागीदारी निभाएं, तो भारत स्वच्छ हो सकता है।
दीपक शर्मा, चंडीगढ़

कमजोर नहीं हैं लड़कियां
लड़कियों को कमजोर समझने वाले लोग हरियाणा के रेवाड़ी की छोरियों की ताकत देख सकते हैं। नौवीं-दसवीं में पढ़ने वाली इन लड़कियों ने दिखा दिया है कि वे कतई कमजोर नहीं हैं। ये लड़कियां करीब हफ्ते भर से भूख हड़ताल पर बैठी थीं। कई तो आमरण अनशन पर थीं। मुद्दा था, छेड़छाड़ का विरोध और गांव के स्कूल को 12वीं तक अपग्रेड कराना। इनके आंदोलन के सामने झुकते हुए राज्य सरकार ने अब अधिसूचना जारी की है कि उनके स्कूल का ‘अपग्रेडेशन’ किया जाता है। हालांकि इस पूरे मसले का दूसरा पहलू भी है। लड़कियों का आरोप था कि जब वे दूसरे गांव के स्कूल में जाती थीं, तो रास्ते में उनके साथ बदतमीजी की जाती थी। ऐसे में, जरूरत यह भी है कि स्कूल को अपग्रेड करने के साथ-साथ सरकार लड़कों की मानसिकता को भी अपग्रेड करे, जो लड़कियों को लेकर तंग नजरिया रखते हैं।
सुषमा, गुरुग्राम, हरियाणा

विवाह घरों का नियमन
अब शहरों में जगह की इतनी किल्लत हो गई है कि विवाह करने के लिए भी हमें जगह तलाशनी पड़ती है। जाहिर है कि अब विवाह घर को खोलना एक फायदे का सौदा बन गया है। मगर यहां कानूनों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। अभी हाल ही में राजस्थान के भरतपुर में मैरिज होम की दीवार मौत बनकर टूटी और 29 लोगों को लील गई। ‘सांप मर जाने के बाद लाठी पीटने’ के नक्शेकदम पर मानो प्रशासन चल रहा है। हादसे के बाद वह गहरी नींद से जागा जरूर, पर आनन-फानन में औपचारिक कारवाई करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। प्रशासन आखिर गंभीर क्यों नहीं होता? अगर वह समय रहते ऐसे मैरिज होम की सघन जांच करे, अग्निशमन एनओसी को लेकर सख्ती दिखाए, पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित करे, तो फिर ऐसे हादसों पर काबू पाया जा सकता है। अगर हमने अब भी कोई सबक नहीं लिया, तो यह समस्या भविष्य में विकराल रूप ले सकती है। प्रशासनिक चूक का खामियाजा भला आम आदमी क्यों भुगते? प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी लेनी ही चाहिए।
मृदुल कृष्ण भारद्वाज, राजस्थान


 

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