फोटो गैलरी

सदन की मर्यादा

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के सामने कागज फाड़कर फेंकने के कारण छह कांग्रेसी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। लोकसभा में सांसदों का हंगामा और असंसदीय आचरण अक्सर होता...

सदन की मर्यादा
हिन्दुस्तानWed, 26 Jul 2017 12:40 AM
ऐप पर पढ़ें

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के सामने कागज फाड़कर फेंकने के कारण छह कांग्रेसी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। लोकसभा में सांसदों का हंगामा और असंसदीय आचरण अक्सर होता रहता है। इसी तरह, राज्य विधानसभाओं में भी सदन की मर्यादा का हनन किया जाता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश की विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कुछ विधायकों ने उनके ऊपर कागज के गोले फेंके थे। संसद और विधानसभाओं में निर्वाचित सदस्यों की अनुशासनहीनता और इस तरह के असंसदीय आचरण देश के लोकतंत्र को शर्मसार कर रहे हैं। असंसदीय आचरण करने वाले सांसदों और विधायकों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सदन की गरिमा बरकरार रखने के लिए हमें कुछ सख्त कदम उठाने ही होंगे।
कुलदीप मोहन त्रिवेदी, उन्नाव, उ.प्र.

घाटी की हालत
कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की नए सिरे से जांच कराने और मुकदमा चलाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार के 27 साल बीत गए हैं, और उनके लिए घाटी की स्थिति पहले से कहीं अधिक खतरनाक हो गई है। यह वाकई चिंता की बात है। विडंबना यह भी है कि इतने वर्षों के बाद भी कश्मीरी पंडित इंसाफ की मांग कर रहे हैं। मेरा मानना है कि कश्मीर की बिगड़ती स्थिति के लिए वे लोग दोषी हैं, जिन्होंने पंडितों पर हुए अत्याचार की तरफ अनदेखी करके गलत विचारों को फैलने से नहीं रोका। उन्हीं की वजह से आज घाटी से शांति गायब हो गई है। ऐसे लोगों को कठघरे में खड़ा करना चाहिए।
वैजयंती सूर्यवंशी

आज की हकीकत
अभी जोर-शोर से यह कहा जा रहा है कि देश ईमानदारी की ओर बढ़ रहा है, जबकि हकीकत में देश तानाशाही का गुलाम बनता जा रहा है। किसानों के लिए फसल बीमा योजना लाई गई और ठेका निजी बीमा कंपनी को दे दिया गया। इससे किसानों को कितना लाभ मिला, यह तो पता नहीं, मगर आकलन यही है कि इससे निजी कंपनियों को करोड़ों का मुनाफा हुआ। इसी तरह, बीएसएनएल पूरी तरह खास्ता हो चुका है, जबकि निजी दूरसंचार कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। रेलवे भी अब डीजल निजी कंपनी से ही खरीदेगा, न कि भारतीय तेल कंपनियों से। रेलवे स्टेशन को सुंदर बनाना, हाई-वे का निर्माण, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास आदि सभी काम पीपीपी मॉडल के नाम पर निजी कंपनियों के हवाले किए जा रहे हैं। इसमें जाहिर तौर पर सुविधा टैक्स के नाम पर निजी कंपनियां आम लोगों से वसूली करेंगी, जिसका एक हिस्सा सरकार के खाते में भी जाएगा। मुश्किल यह है कि विपक्ष का विरोध सोशल मीडिया या टीवी के प्राइम टाइम तक सिमटकर रह गया है।
शैलेश मोहन गुप्ता, बागपत रोड, मेरठ

जन्म-दर में पीछे क्यों
पढ़ाई-लिखाई हो या खेल, राजनीति हो या प्रशासनिक सेवा, सेना-पुलिस हो या अन्य कोई कामकाजी उड़ान, सब में लड़कियां बाजी मार रही हैं, फिर भी वे जन्म-दर में पिछड़ती जा रही हैं, आखिर क्यों? समाज और सरकार को संजीदगी का परिचय देना चाहिए, ताकि समान अधिकार के साथ समान जन्म-दर समाज हित और देशहित में बरकरार रखी जा सके।
शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर, म.प्र.

डीयू का हेल्पलाइन नंबर
दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में दाखिले अभी तक चालू हैं, पर लगता है कि यूनिवर्सिटी ने हेल्पलाइन नंबर बच्चों की सहायता न करने के लिए जारी की है। दस-दस बार कॉल मिलाने पर भी कोई फोन नहीं उठाता। जब फोन उठाना ही नहीं है, तो यूनिवर्सिटी ने वह नंबर अपनी वेबसाइट पर क्यों चस्पां कर रखा है? आज भी कई बच्चों को एडमिशन के लिए मदद की जरूरत है, पर लगता है कि यूनिवर्सिटी बच्चों की सहायता करना ही नहीं चाहती।
जितिन कुमार गोठवाल, नई दिल्ली

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें