बेकार साबित हो रही है सौर ऊर्जा जलापूर्ति योजना
2014 में प्रखंड के विभिन्न पंचायत में पांच जगह करोडों की लागत से लगाया था सौर उर्जा शुद्ध पेयजल प्लांटकुछ दिनों की सेवा के बाद विभागीय रख रखाव के अभाव में लोगों को नहीं हो रहा है शुद्ध पेयजल...
2014 में प्रखंड के विभिन्न पंचायत में पांच जगह करोडों की लागत से लगाया था सौर उर्जा शुद्ध पेयजल प्लांटकुछ दिनों की सेवा के बाद विभागीय रख रखाव के अभाव में लोगों को नहीं हो रहा है शुद्ध पेयजल नसीबप्लांट रहते भी लोगों को पीना पडता है आयरनयुक्त पानी जगह जगह बने नल तथा भेट टूटे पडे हैं प्रतापगंज (सुपौल)। एक प्रतिनिधि ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों की लागत से निर्मित सौर ऊर्जा संचालित मिनी जलापूर्ति योजना लोगों की प्यास बुझाने में फेल साबित हो रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के तहत पीएचईडी ने इस योजना की शुरुआत की थी। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि जगह-जगह बने भेट और पानी के लिए बने नल स्टैंड टूट कर अपनी पहचान ही मिटा चुके हैं। इतना ही नहीं भवानीपुर दक्षिण पंचायत के इस्लामपुर राम टोला के पास बनी जलापूर्ति योजना का संयत्र केन्द्र गेहंू और गोठुले का गोदाम बन गया है। महादलित और अल्पसंख्यक समाज के दो सौ घरों के इस टोले के मो. इब्राहिम, मो. ख्वाजा, पूर्व वार्ड सदस्य मो.अकबर, हाफिज सहजाद, मसीना खातून, बीबी अनीसा, जैसुन खातून आदि बताती हैं कि संयंत्र चालू होने के कुछ माह तक तो हमलोगों को शुद्ध जल मिला। लेकिन अब नल वगैरह के टूट जाने से पानी की सप्लाई ही नहीं होती है। उनका कहना था कि सरकार के सात निश्चय कार्यक्रम के तहत हर घर नल शुद्ध जल पहुंचाने की बात हो रही है लेकिन उन्हें आयरनयुक्त पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। आयरन युक्त पानी पीने से बडे़ और बच्चे पेट के रोग से पीड़ित हो रहे हैं। 2014 में लगाये गये थे मिनी प्लांट : 2014 में ही सरकार के निर्णय के अनुसार प्रखंड के पांच विभिन्न स्थान प्रतापगंज, इस्लामपुर राम टोला, सुखानगर, चिलौनी दक्षिण पंचायत के मच्छहा तथा चिलौनी उत्तर पंचायत में करोडों की लागत से आयरन मुक्त पानी पहुंचाने के लिए सौर ऊर्जा मिनी प्लांट लगाया गया था। लेकिन कुछ दिनों तक अच्छी सेवा देने के बाद विभागीय उदसीनता तथा लापरवाही के कारण पांचों मिनी प्लांट कोमोबेश अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहे हैं। कोट::::::::::: संसाधनों की कमी के कारण जलापूर्ति योजना का लाभ लोगों को नहीं मिला पा रहा है। संसाधन उपलब्ध होते ही लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा।राजीव कुमार, एसडीओ, पीएचईडीफोटो