10 दिवाली 10 कहानी : माता त्रिशला के 14 स्वप्नों की लगती है बोली
अहिंसा की पावन भूमि पावापुरी में बुधवार छोटी दीपावली के दिन से पुरातन जैन परंपराओं का निर्वहन होना शुरू हो जायेगा। छोटी दिपावली की रात माता त्रिशला के चौदह स्वप्नों की बोली लगायी जायेगी, इसके बाद बड़ी...
अहिंसा की पावन भूमि पावापुरी में बुधवार छोटी दीपावली के दिन से पुरातन जैन परंपराओं का निर्वहन होना शुरू हो जायेगा। छोटी दिपावली की रात माता त्रिशला के चौदह स्वप्नों की बोली लगायी जायेगी, इसके बाद बड़ी दिवाली को श्वेताम्बर जैन श्रद्धालुओं द्वारा प्राचीन चांदी के रथ पर सवार होकर भगवान महावीर की रथ यात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान सैंकड़ो श्रद्धालु माता त्रिशला को महावीर के जन्म के समय आये स्वप्नों की प्रतिकृति को सिर पर रख अग्नि संस्कार भूमि जलमंदिर ले जाया जायेगा। यहां भगवान महावीर की विशेष पूजा अर्चना की जायेगी।
निर्वाण दिवस के दिन दिगम्बर और समवशरण से भी रथ यात्रा निकाली जायेगी। दिगम्बर की रथ यात्रा जहां पांडुक शीला और समवशरण की रथ यात्रा नया मंदिर में खत्म होगी। दोनों मंदिरों में जैन श्रद्धालुओ द्वारा विशेष पूजा की जाएगी। इसके बाद पूरी रात जैन श्रद्धालुओ द्वारा नववर्ष का उत्सव मनाया जायेगा। सभी मंदिरो में दिये जलाए जाएंगे और पटाखे छोड़कर खुशियां मनेगी।
जानिए क्यों खास है जलमंदिर
-जलमंदिर भगवान महावीर की निर्वाण स्थली है.
-84 बीघे के तालाब के बीच सफेद संगमरमर का मंदिर ताजमहल की तरह दिखाई देता है।
- इस मंदिर में भगवान महावीर और उनके दो शिष्यों की चरण पादुका रखी हुई है।
-पूरे विश्व में रह रहे जैनियों के लिए यह तीर्थ मक्का के समान है।
-जलमंदिर के बारे में काका कालेलकर ने कहा था कि यहां असीम शांति मिलती है।