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Hindi News बिहार10 दिवाली 10 कहानी: यहां बंदीछोड़ दिवस के रूप में मनाई जाती है दिवाली, जानिए पूरा इतिहास

10 दिवाली 10 कहानी: यहां बंदीछोड़ दिवस के रूप में मनाई जाती है दिवाली, जानिए पूरा इतिहास

दीपावली पर्व पर सभी धर्मों की लाखों संगत गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब पहुंचकर अलग तरीके से दीवाली पर्व मनाते हैं। इसमें देश के विभिन्न प्रांतों से पहुंचने वाले रागी, ढाढी, कविशरी जत्थों के अलावा...

10 दिवाली 10 कहानी: यहां बंदीछोड़ दिवस के रूप में मनाई जाती है दिवाली, जानिए पूरा इतिहास
राजेन्द्र तिवारी,सितारगंजFri, 20 Oct 2017 05:18 PM
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दीपावली पर्व पर सभी धर्मों की लाखों संगत गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब पहुंचकर अलग तरीके से दीवाली पर्व मनाते हैं। इसमें देश के विभिन्न प्रांतों से पहुंचने वाले रागी, ढाढी, कविशरी जत्थों के अलावा कथावाचक गुरुओं की महिमा का गुणगान करेंगे। यहां दीवाली मेला बंदीछोड़ दिवस के रुप में मनाया जाता है। 

इतिहास के पन्नों को अगर देखें तो इस दिन मुगल शासक जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब सहित 52 राजाओं की रिहाई की थी। जिस दिन मीरी-पीरी के मालिक 6वें पातशाह श्री गुरु हरगोविंद साहिब को जब उस समय के मुगल शासक जहांगीर ने गिरफ्तार किया था। रिहाई के समय गुरु साहिब ने अपने साथ 52 अन्य राजाओं को भी  मुक्त करवाया था। तब दीपमाला जलाई गई थी। इसी कारण उस दिन को ही ‘बंदी छोड़ दिवस ’ के रूप में मनाया जाता है। गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में 15 दिनों तक दीवाली मेले का आयोजन होता है। इसमें देश विदेश की लाखों संगत पहुंचती है। दीपावली के दिन श्री दरबार साहिब में देर रात्रि तक गुरबानी कीर्तन होगा व दीपमाला की जाएगी।

हिंदू- सिख एकता की प्रतीक नानकमत्ता की दीवाली
दीपावली हिंदू और सिख एकता का प्रतीक माना जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष वनवास के उपरांत अयोध्या वापस पहुंचे थे तो वही सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह  की 52 राजाओं के साथ रिहाई मुग़ल शासक जहाँगीर ने की थी।  हिंदुओं और सिक्खों के खुशियों के त्योहार दीपावली का दोनों धर्मों में विशेष महत्व है। जिस प्रकार नाखून और मांस का रिश्ता होता है। उसी प्रकार हिंदू और सिक्खों का रिश्ता माना जाता है।

नंदी बाबा की पूजा अर्चना
नानकमत्ता साहिब के पास  गांव ध्यानपुर नगला में भगवान भोलेनाथ के वाहन नंदी बाबा का एक प्रसिद्ध मंदिर है। देश के विभिन्न प्रांतों से गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब पहुंचने वाली हिन्दू संगत इस मंदिर में भी पहुंचकर दीप जलाती है। जहां हिंदू धर्म के अनेक लोग दीपावली पर पूजा अर्चना करने जाते हैं। मान्यता है कि दीपावली की रात नंदी बाबा पर दूध-घी चढ़ाने से कष्ट दूर होते हैं और मनोकामना पूरी होती है।

ऐतिहासिक महत्व में बंदीछोड़ दिवस का
जब मुग़ल शासक जहांगीर ने सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह को बंदी बना लिया था, कुछ दिनों के बाद जहांगीर को एक सपना आया सपने में राजा ने देखा कि उसकी छाती पर एक शेर चढ़ा हुआ है। प्रातः जब राजा ने अपने सलाहकारों को सपने के बारे में बताया तो सलाहकारों ने कहा कि क्या आपकी कैद में कोई महापुरुष भी है । राजा ने बताया कि सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह को अपनी कैद में रखा हुआ है। सलाहकारों के कहने पर जहांगीर ने उन्हें छोड़ने का मन बनाया, जब हरगोविंद सिंह जी से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैं अकेला रिहा नहीं होगा मेरी शर्त है कि मेरे साथ बंदी अन्य 52 राजा भी रिहा  होंगे। इस पर जहांगीर ने कहा कि जितने राजा आप का दामन पकड़ सकते हैं उतनों को रिहा कर दिया जाएगा। इस पर गुरु हरगोविंद सिंह ने 52 कलियों वाला एक चोला सिलवाया। 52 कलियों को पकड़कर सारे राजा रिहा हो गए । तत्पश्चात सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह और 52 राजा अमृतसर पहुंचे जहां दीपमाला की गई।

धार्मिक दीवान में कुरीतियों पर उपदेश
बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में चार दिन व रात में धार्मिक दीवान सजता है। यहां राजनैतिक, धार्मिक हस्तियां पहुंचती हैं। इसमें सिख धर्म के इतिहास, नई पीढ़ी को जागृत करने का काम, धर्म पालन, नशे जैसे सामाजिक बुराइयों से संगत को बचने का आह्वान किया जाता है।

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