नीतीश का वार: क्या 'बिहार की बेटी' को हराने के लिए बनाया राष्ट्रपति का उम्मीदवार
लालू प्रसाद यादव की लाख कोशिशों के बावजूद नीतीश कुमार एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन देने से पीछे नहीं हट रहे हैं। शुक्रवार को लालू यादव की इफ्तार पार्टी से बाहर...
लालू प्रसाद यादव की लाख कोशिशों के बावजूद नीतीश कुमार एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को अपना समर्थन देने से पीछे नहीं हट रहे हैं। शुक्रवार को लालू यादव की इफ्तार पार्टी से बाहर निकलकर विपक्ष पर जोरदार हमला किया। उन्होंने मीडिया से कहा कि विपक्ष ने जीत की बजाए हार की रणनीति बना ली है। शुरुआत ही हार की रणनीति से हो गई है।
उन्होंने पूछा कि क्या बिहार की बेटी को हारने के लिए राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया है। मैं मीरा जी का दिल से सम्मान करता हूं लेकिन जब पिछले दो बार वे जीत सकती थीं उस वक्त यूपीए को उनकी याद नहीं आई। उन्होंने कहा जदयू ने जो भी फैसला लिया है, बहुत सोच समझकर लिया है और उसकी जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को दे दी गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी एकता की पहल करने की हैसियत हमारे जैसे छोटे दल के नेता की नहीं है। इसकी पहल बड़े दल के नेताओं को करनी चाहिए। हमने एक पहल 2014 में की थी, उसमें कामयाब नहीं हुए। मीरा कुमार ने मंत्री और स्पीकर के रूप में अच्छा काम किया है। उनके लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है। विपक्ष को पहले 2019 में जीत की रणनीति बनानी चाहिए थी। उसके बाद 2022 में बिहार की बेटी को राष्ट्रपति बनाया जाता।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाने के बाद हमारी पार्टी की कोर कमेटी की बैठक हुई और उसमें हमने समर्थन का फैसला लिया। पहली बार बिहार के राज्यपाल को सीधे राष्ट्रपति बनाया जा रहा है। कोविंद आरएसएस की पृष्ठभूमि के नहीं हैं। उन्होंने मोरारजी देसाई के साथ अपनी राजनीति की शुरुआत की थी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर का है और हमारा गठबंधन बिहार में है। इससे सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ऐसे भी हमारा फैसला सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव के लिए है। कांग्रेस के महासचिव सीपी जोशी ने पहले ही बिहार यात्रा के दौरान कहा था कि बिहार से बाहर हमारा कोई गठबंधन नहीं है। कोविंद को समार्थन पर हमने कांग्रेस से बात करने की सोची थी, लेकिन गुलाम नबी आजाद ने पहले ही कह दिया कि कोविंद के समर्थन का कोई सवाल नहीं है, तो फिर हमने बात करना उचित नहीं समझा।
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