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घर ध्वस्त, गोद में भूखा बच्चा, अनाज भी निकला सड़ा

सोनबरसा के करहड़वा गांव के समीप सड़क किनारे बाढ़ में ध्वस्त मकान के बाहर गोद में बच्चे को लेकर खड़ी मधु देवी। पाई-पाई जोड़कर पक्का खपरैल घर बनाया था। बाढ़ ने उसकी नींव की हिला दी। पानी कम हुआ। लेकिन घर...

घर ध्वस्त, गोद में भूखा बच्चा, अनाज भी निकला सड़ा
हिन्दुस्तान टीम,सीतामढ़ीSun, 20 Aug 2017 12:29 AM
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सोनबरसा के करहड़वा गांव के समीप सड़क किनारे बाढ़ में ध्वस्त मकान के बाहर गोद में बच्चे को लेकर खड़ी मधु देवी। पाई-पाई जोड़कर पक्का खपरैल घर बनाया था। बाढ़ ने उसकी नींव की हिला दी। पानी कम हुआ। लेकिन घर ध्वस्त हो चुका था। कभी वह घर देखती है तो कभी भूख से बिलबिलाते बच्चे को। घर मेंअनाज था। लोगों की मदद से वहां से पांच किलो अनाज निकाला। लेकिन पानी से वह भी सड़ गया था। अब खाने के लाले पड़ गए हैं। घर के सभी लोग बाहर रहते हैं। ऐसे में उसे रहने व खाने की चिंता सताने लगी है। दरअसल जिले में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने कई गांवों की सूरत बदल दी है। मधु की तरह कई लोगों का आशियाना खत्म हो चुका है। खुले में रहने की मजबूरी हो गई है। गांव अब पहले की तरह दिखेगा भी या नहीं आशंका सता रही है। बाढ़ प्रभावित गांव के लोगों का कहना है कि पानी निकलने के बाद की तस्वीर वर्ष 2000 के पहले की दिनों की याद दिलाती है। बीते 18 वर्षो में समय के साथ गांवों में काफी तेजी विकास हुआ था। लेकिन, बाढ़ की विभीषिका ने विकास की पूरी सूरत ही बदल डाली है। कुछ ऐसा ही दृश्य बाढ़ के बाद गांवों में दिख रहा है। पंचायत के सभी गांव विकास में पिछड़ गए हैं। यहां की सड़क, बिजली, शिक्षा,स्वास्थ्य और खेती-बारी समेत सभी सुविधाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। गांव के लोगों में जगी विकास की आस अब ठंडी पड़ गई है। गांव के वृद्ध किसान रामानेक बताते है कि वर्षों पहले यहां बाढ़ आई थी। लेकिन, उसकी तबाही का मंजर इस बाढ़ की तरह नही था। इस बाढ़ ने जगह-जगह सड़कों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। कई जगहों पर बिजली के पोल बाढ़ की धार में टूट गए हैं। सड़क सुविधा नहीं होने के कारण लोगों को इलाज के कराने के लिए समय रहते अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सकता है। स्कूल की पठन-पाठन की व्यवस्था ठप हो गई है। भगवानपुर गांव निवासी जितेन्द्र सहित कई लोगों ने ऐसी ही चिंता जताई।

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