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डीएफओ संजय सिंह चर्चित हत्याकांड में 21 को आएगा फैसला

शाहाबाद के तत्कालीन वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) संजय सिंह की हत्या वाले मामले में अगले 21 जून को फैसला सुनाया जाएगा। इस हत्याकांड में पिछले कई दिनों से सासाराम के जिला एवं सत्र न्यायालय सह सीबीआई...

डीएफओ संजय सिंह चर्चित हत्याकांड में 21 को आएगा फैसला
हिन्दुस्तान टीम,सासारामWed, 07 Jun 2017 07:02 PM
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शाहाबाद के तत्कालीन वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) संजय सिंह की हत्या वाले मामले में अगले 21 जून को फैसला सुनाया जाएगा। इस हत्याकांड में पिछले कई दिनों से सासाराम के जिला एवं सत्र न्यायालय सह सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही अंतिम बहस आज बुधवार को समाप्त हो गई। बचाव पक्ष ने आज अपना लिखित बहस भी न्यायालय में दाखिल कर दिया। सीबीआई अपना बहस पहले ही जमा कर चुकी है। जज प्रभुनाथ सिंह ने दोनों पक्षों की सहमति से फैसले के लिए 21 जून की तिथि निर्धारित की है। अब सबकी निगाह अगले 21 जून के फैसले पर टिक गई है। सरकारी वकील के अनुसार शुरूआती दौर में तीन आरोपियों का विचारण तब के प्रभावित पोटा क़ानून के तहत हुआ था। पोटा के विशेष न्यायालय सह सत्र न्यायालय ने आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व तीन अभियुक्तों को डीएफओ की हत्या का दोषी पाते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी। पोटा क़ानून की समाप्ति के बाद नियमित न्यायालय में विचारण चल रहा है। वर्तमान समय में इस मामले में पांच आरोपितोंके विरूद्ध विचारण चल रहा है। इनमे तब के नक्सली संगठन एमसीसी के कमांडर निराला यादव, नीतीश यादव, रामबचन यादव, सुदामा उरांव और ललन सिंह शामिल हैं। हालांकि इस हत्याकांड से जुड़े सुदर्शन भुंइया व अभय यादव के इसी न्यायालय में अलग मामले विचाराधीन है। जबकि जुविनाइल घोषित हुए एक अन्य का मामला जुविनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष विचाराधीन है। विदित हो कि रोहतास जिले की वन संपदाओं की रक्षा करते हुए तेज तर्रार अधिकारी संजय सिंह पर महज उनके डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में वन माफियाओं के कई हमले हुए थे। इसी दौरान 15 फ़रवरी 2002 को नौहट्टा थाने के रेहल में दिन दहाड़े नक्सलियों ने उनकी नृशंस हत्या कर दी थी। हत्या के सिलसिले में शुरूआती तौर पर नौहट्टा थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। परन्तु हत्या की इस घटना में जनभावनाओं का ख्याल करते हुए राबड़ी देवी की सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सुपुर्द कर दिया था। सीबीआई ने अपने स्तर से जांच कर कुल डेढ़ दर्जन अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया था।जैसे जैसे अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई, तब तब उनके विरुद्ध न्यायालय में विचारण चलता रहा।

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