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बंगाल में खपाये जा रहे बिहार के सिक्के

सूबे के अन्य जिलों सहित सीमांचल में सिक्कों के कारण उत्पन्न समस्याओं को देखते हुए व्यापारी जमा सिक्कों को पश्चिम बंगाल के बैंकों और बाजार में खपाने को मजबूर हैं। पूर्णिया के व्यापारियों से बैंक...

बंगाल में खपाये जा रहे बिहार के सिक्के
हिन्दुस्तान टीम,पूर्णियाSat, 22 Jul 2017 10:09 PM
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सूबे के अन्य जिलों सहित सीमांचल में सिक्कों के कारण उत्पन्न समस्याओं को देखते हुए व्यापारी जमा सिक्कों को पश्चिम बंगाल के बैंकों और बाजार में खपाने को मजबूर हैं। पूर्णिया के व्यापारियों से बैंक वाले सिक्का नहीं लेते लिहाजा बगल के बंगाल के जिलों के बाजार में यह आसानी से खप जा रहा है। तमाम कोशिश के बावजूद अभी तक जिला प्रशासन इस मामले में बैंकों की कार्यशैली पर अंकुश नहीं लगा पाया है। लोगों का सीधा सवाल है कि जब रिजर्व बैंक ने 10, 5, 2 और 1 रुपये के सिक्के का चलन जारी रखा है तो बैंक किस आधार पर इसको लेने में अनाकानी कर रहा है। जिले के कई बैंकों में सिक्के नहीं लिए जाने से छोटे कारोबारियों पर असर पड़ने लगा है। यहां तक कि छोटे कारोबारी भी सिक्का लेने से कतराने लगे हैं। एक-एक छोटे दुकानदारों के यहां दस-दस हजार रुपये से अधिक का सिक्का जमा हो गया है। छोटे दुकानदारों के लिए चिल्लर परेशानी का कारण बनता जा रहा है। छोटे व्यवसायियों स्पष्ट कहते है कि बैंक सिक्का जमा ही नहीं लेती है। आखिर हम लोग जमा सिक्का का क्या करें। बैंक के कैशियर यही कहते हैं कि हमारे पास सिक्का गिनने वाला स्टॉफ ही नहीं है। सिक्का गिनने के डर से बैंक कर्मी भागते हैं। शहर में मधुबनी चौक स्थित पान मसाला के थोक विक्रेता गौतम प्रसाद ने बताया कि मधुबनी बाजार स्थिति भारतीय स्टेट बैंक, ऑवरसिज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया में सिक्का जमा ही नहीं लिया जाता है। जबकि उनके यहां प्रतिदिन लगभग 5 हजार से अधिक का सिक्का जमा हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे सिक्का को दूसरे राज्य बंगाल भेज देते हैं। वहां के व्यवसायी सिक्का आराम से लेते हैं और वहां के बैंकों में भी सिक्का लिया जाता है। आखिर बिहार के बैंकों की मनमानी कबतक चलेगी। पान मसाला दुकानदार ने बोड़ा में रखे एक, दो रुपये के सिक्के दिखाते हुए कहा कि आखिर इतने सिक्के को हम क्या करेंगे। मधुबनी के छोटे व्यवसायी शंभू केशरी ने बताया कि मधुबनी बाजार स्थित बैंक ऑफ इंडिया में उनका खाता है और जब वे दो हजार रुपये के सिक्का जमा करने गये तो सिक्का जमा ही नहीं लिया गया। उसके बाद से वे ग्राहकों को ही दस-पांच का सिक्का देकर खपा रहे हैं। लेकिन अब ग्रहक भी सिक्का लेने के हिचकता है। मधुबनी बाजार के कपड़ा व्यवसायी प्रदीप जैन, किराना दुकानदार महादेव केशरी ने भी बताया कि मधुबनी बाजार सहित शहर के अधिकांश बैंकों में सिक्का जमा नहीं लिया जाता है। मो.शहवाज, मो. महमूद आलम ने बताया कि गांव देहातों में तो एक व दो रुपये का सिक्का कोई लेता भी नहीं हैं।

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