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सत्ता में आकर संघर्ष के विषयों को नहीं भूलते: उपेन्द्र कुशवाहा

हम सत्ता में आकर भी संघर्ष के विषयों को नहीं भूलते। भले उसे प्राप्त करने का तरीका बदल जाए। रविवार को गया के धर्मसभा भवन में आयोजित 'शक्षिा सुधार सम्मेलन' के दौरान केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री व...

सत्ता में आकर संघर्ष के विषयों को नहीं भूलते: उपेन्द्र कुशवाहा
हिन्दुस्तान टीम,पटनाSun, 20 Aug 2017 11:09 PM
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हम सत्ता में आकर भी संघर्ष के विषयों को नहीं भूलते। भले उसे प्राप्त करने का तरीका बदल जाए। रविवार को गया के धर्मसभा भवन में आयोजित 'शक्षिा सुधार सम्मेलन' के दौरान केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री व रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कुछ इस तरह अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस समय इस आंदोलन की शुरुआत हुई इसका नाम था 'आक्रोश दिखाओ शक्षिा बचाओ'। तब हम बिहार सरकार के विरोध में थे। आज दल्लिी और बिहार में अपनी सरकार है। विषय वही है लेकिन उसे प्राप्त करने का तरीका बदल गया है। अब हमें लड़ना नहीं पड़ेगा। केवल अपना सहयोग और समर्थन दिखा दीजिए सबकुछ मिल जाएगा। मंत्री ने कहा कि शक्षिा में बड़े सुधार की जरुरत है। मास्टर साहब खिचड़ी खिलाने और खाने में लगे हैं। लेकिन, देश के कई राज्य हैं जहां एमडीएम खाने खिलाने की व्यवस्था अलग संस्थानों के हाथ में है। राज्य सरकार ने कहा है कि वैसे राज्यों में टीम भेजी जायेगी। मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय वद्यिालय और नवोदय में सरकारी इंतजाम के बाद भी अच्छी पढ़ाई होती है। मंत्री ने कहा कि जब तक शक्षिक भूखा है, शक्षिा का सागर सुखा है। शक्षिकों की सारी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। एक ही काम के लिए किसी को 20 हजार तो किसी को चालीस हजार मिलना सही नहीं है। उन्होंने एनसीआरटी पुस्तकों से बच्चों को पढ़ाने का अनुरोध किया। मंत्री ने कहा कि हमें चुनौतियों से लड़ने वाली शक्षिा मिलनी चाहिए। उन्होंने बक्सर के डीएम की आत्महत्या और मुंबई में मां के कंकाल मिलने वाली बात को भी शक्षिा से जोड़ा। कहा चुनौतियों से लड़ने वाली शक्षिा मिलती तो ऐसा नहीं होता। इस मौके पर सभी नेताओं ने 15 अक्टूबर को गया में पहुंचने का अह्वान किया। भले ही इस कार्यक्रम का नाम शक्षिा में सुधार सम्मेलन था। लेकिन, शुरुआती दौर में आने वाले अधिकतर वक्ता उपेन्द्र कुशवाहा को अगला मुख्यमंत्री बनाने की बात कह रहे थे। वक्ताओं ने कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा के मुख्यमंत्री बनने से राज्य की समस्याएं दूर होंगी। सम्मेलन के दौरान रालोसपा के नेता पूर्व मंत्री नागमणी, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा, प्रधान महासचिव सत्यानंद दांगी, विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह, भाजपा के गुरुआ विधायक राजीव नंदन दांगी, रासबिहारी सिंह, विनय कुशवाहा, ई़ सुनील कुमार के अलावा कई नेताओं ने अपनी बात रखी। गया पहुंचने से पहले उपेन्द्र कुशवाहा बेलागंज के ऐतिहासिक नियामपुर अश्राम में रुके। यहां उन्होंने किसान नेता पंडित यदुनंदन शर्मा की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उन्होंने आश्रम के ऐतिहासिक महत्व को समझा। कहा कि ऐसे ऐतिहासिक स्थल का उपेक्षित रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ साथ केन्द्र व राज्य सरकार को भी ऐसे स्थलों के विकास के लिए ध्यान देना चाहिए। इस स्थल को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कराने की मांग पर उन्होंने इस संबंध में हर संभव प्रयास करने की बात कही। इस मौके पर रविरंजन कुमार, सुधांशु सुधाकर, अभिषेक गुंजन, रौशन कुमार, अर्जून सागर के अलावा कई लोग मौजूद थे।

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