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प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत कर बनायें स्वच्छ समाज

‘मां कसम हिन्दुस्तान को स्वच्छ रखेंगे हम। हिन्दुस्तान अखबार की इस मुहिम में शुक्रवार को शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपनी दिल की बात बयां की और स्वच्छता अभियान को बेहतर पहल बताया। शिक्षाविदों का कहना था...

प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत कर बनायें स्वच्छ समाज
हिन्दुस्तान टीम,मुंगेरFri, 22 Sep 2017 11:35 PM
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‘मां कसम हिन्दुस्तान को स्वच्छ रखेंगे हम। हिन्दुस्तान अखबार की इस मुहिम में शुक्रवार को शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपनी दिल की बात बयां की और स्वच्छता अभियान को बेहतर पहल बताया। शिक्षाविदों का कहना था कि वर्तमान समय में स्वच्छता एक अभिशाप बन चुका है। घर की सफाई तो सभी करते हैं लेकिन आस-पड़ोस की सफाई नहीं करते। जिस प्रकार नगर निगम के कर्मी सफाई करते हैं उसी तरह प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वे अपने घर के आसपास साफ-सफाई करें और लोगों को जागरूक करें। स्वच्छता के प्रति हर लोगों को सोचना होगा। यदि स्वच्छ समाज बनाने में व्यक्ति सफल हो जाता है वे शारीरिक, आर्थिक एवं मानसिक तनाव से भी मुक्ति पा सकते हैं। क्योंकि अधिकांश बीमारियां अस्वच्छता से होती है और लोग बीमार पड़ते हैं। बीमार पड़ने के बाद वे चिकित्सक के पास जाते हैं और इलाज के नाम पर उन्हें अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। तो वैसी परिस्थिति में स्वच्छ समाज बनाकर हम इन सारी परेशानियों से बच सकते हैं। आज से 70 वर्ष पूर्व ही गांधी का सपना था स्वच्छ भारत का। अगर उस समय से देश में प्रत्येक नागरिक इस जिम्मेदारी को समझते और स्वच्छता के प्रति जागरूक रहते तो आज स्वच्छता अभियान चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन बढ़ती गंदगी को देखते हुए स्वच्छता अभियान चलाने की जरूरत आन पड़ी है। स्वच्छता के लिए हर लोगों को कुछ न कुछ करना होगा। स्वच्छता के लिए सामाजिक स्तर पर एक टीम बनाया जाय और लोगों में प्रतिस्पर्धा की भावना प्रबल किया जाय कि कौन सा मुहल्ला कितना साफ रहता है। जो मुहल्ला ज्यादा साफ रहेगा उसे जिला प्रशासन या नगर निगम द्वारा सम्मानित किया जाय। इससे स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता भी फैलेगी और लोग स्वच्छ समाज बनाने के के लिए मजबूर होंगे। स्वच्छता की बात तो सभी करते हैं लेकिन इसे कैसे अमल में लाया जाय यह बहुत बड़ी बात है। अगर व्यक्ति स्वयं इस बात को समझ लें कि स्वच्छ शरीर में स्वच्छ तन का बास होता है और प्रधानमंत्री का यह अभियान सफल हो जायेगा और गांधी का सपना पूरे भारत में साकार हो जायेगा। जरूरत है लोगों को कदम से कदम मिलाकर चलने की।

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