इच्छाशक्ति से काम करने पर बनेगा स्वच्छ भारत
‘मां कसम हिन्दुस्तान को स्वच्छ रखेंगे हम। हिन्दुस्तान अखबार की इस मुहिम में हर स्तर के लोग हिस्सा ले रहे हैं। गांधी जी के सपना को पूरा करने के लिए आज पूरा देश एकजुट हो रहा है। ताकि हमारा देश व समाज...
‘मां कसम हिन्दुस्तान को स्वच्छ रखेंगे हम। हिन्दुस्तान अखबार की इस मुहिम में हर स्तर के लोग हिस्सा ले रहे हैं। गांधी जी के सपना को पूरा करने के लिए आज पूरा देश एकजुट हो रहा है। ताकि हमारा देश व समाज स्वच्छ हो सके। इसके लिए तरह-तरह के प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि स्वच्छता के प्रति हर लोग जागरूक हों और अपने आस-पड़ोस को स्वच्छ रखें। खिलाड़ियों की मानें तो स्वच्छता पाने के लिए केवल आस-पड़ोस ही नहीं बल्कि नदी को भी स्वच्छ रखना जरूरी है। गंगा में फेंके जाने वाले कचरे या गंगा नदी में नाला के पानी के बहाव पर भी रोक लगना चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है और नाला का गंदा पानी गंगा नदी में जा रहा है पानी को दूषित कर रहा है। इसलिए सरकार को भी सोचना चाहिए कि नाले का गंदा पानी या कूड़ा-कचरा गंगा नदी में न फेंके जायें। इसके लिए सरकार को चाहिए कि कड़ा कदम उठायें ताकि इस तरह की समस्या से निजात मिले। इसके लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट एवं वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किया जाना चाहिए। जिसके माध्यम से कचरा का सही प्रबंधन हो सके। लोगों को कचरा के प्रबंधन की जानकारी होनी चाहिए कि कौन सा कचरा कैसे रखें। गीला को अलग रखना है और सूखा को अलग। सड़ने-गलने वाली वस्तु को अलग रखें। इसके अलावा जो नष्ट होने वाली वस्तु है उसे जला दिया जाय या जमीन के अंदर गाड़ दिया जाय। कचरा से बनने वाली वस्तु और खाद को उपयोग में लाया जाय। ऐसा तभी संभव हो पायेगा जब सरकार इसके प्रति लोगों को जागरूक करें। नगर निगम प्रशासन भी लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलायें। खासकर पॉलीथीन के प्रोडक्शन पर रोक लगायें। क्योंकि पॉलीथीन गलने वाली वस्तु नहीं है। अक्सर देखा गया है कि बाजार में किसी भी तरह की वस्तु खरीदते हैं तो उसे पॉलीथीन में ही दुकानदार देते हैं। ग्राहक भी पानी में ढोना बेहतर समझते हैं। यदि ग्राहक पॉलीथीन का प्रयोग नहीं करें और घर से थैला लेकर चलें तो समझा जा सकता है कि धीरे-धीरे पॉलीथीन की उपयोगिता लोगों के लिए समाप्त हो जायेगी।लेकिन इसके लिए प्रत्येक नागरिक को जिम्मेवार बनना होगा और हर स्तर पर पॉलीथीन का बहिष्कार करना होगा।