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किस पर रोऊं : संपत्ति की बर्बादी पर या बेटे के खोने पर

अमर छतौनी का रूपडीह गांव जिला मुख्यालय से लगभग सात किमी दूरी पर बसा है। सड़क के दोनों ओर सिर्फ और सिर्फ जल सैलाब। बच्चों के अलावा जो भी दिख रहा शांत और पेसानी पर चिंता की लकीरें। बाढ़ ने सबकुछ लील लिया...

किस पर रोऊं : संपत्ति की बर्बादी पर या बेटे के खोने पर
हिन्दुस्तान टीम,मोतिहारीSun, 20 Aug 2017 11:32 PM
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अमर छतौनी का रूपडीह गांव जिला मुख्यालय से लगभग सात किमी दूरी पर बसा है। सड़क के दोनों ओर सिर्फ और सिर्फ जल सैलाब। बच्चों के अलावा जो भी दिख रहा शांत और पेसानी पर चिंता की लकीरें। बाढ़ ने सबकुछ लील लिया है। घर में जो कुछ था, लगभग सब बर्बाद हो गया। खेतों से जबतक पानी संसरेगा, तबतक फसल गल कर पानी हो चुकी होगी। आखिर, अब जिंदगानी कैसे कटेगी? यह चिंता आमतौर पर सबको खाये जा रही है। ऊपर से रविवार को इस गांव के वार्ड नंबर-15 के लोगों पर गम का पहाड़ टूट पड़ा। दिन के ग्यारह बजे के करीब विकास महतो का ढाई साल का मासूम अभिषेक बाढ़ के पानी में डूब गया। लोगों को तब पता चला, जब उसकी मां उसे कुछ खिलाने के लिये खोजने लगी। घर के पिछवाड़े के एक बड़े गड्ढे में उसकी लाश उपलाती मिली। बच्चे की मां और आसपास की जुटीं महिलाओं की चीख-पुकार से सबकी आंखें नम हैं। विकास बच्चे का पोस्टमार्टम कराने सदर अस्पताल गये हैं। लेकिन, वहां मौजूद उनके दियाद (गोतिया) शर्मा महतो, रामनरेश महतो और दूसरे लोग गमजदा हैं। शर्मा महतो कहते हैं कि कल तक सिर्फ फसल और संपत्ति की बर्बादी का रोना था। आज तो बेटा ही चला गया। समझ में नहीं आता है कि अब किसके जाने का मातम मनाऊं। शर्मा महतो कहते हैं इस बस्ती में ज्यादा लोग मजदूर और कमजोर तबके के हैं। काश्तकार भी हैं तो बहुत छोटे। किसी के पास दो-तीन बीघा से ज्यादा जोत वाली जमीन नहीं है। इस बार मौसम ने साथ दिया था। लग रहा था कि फसल अच्छी होगी। थोड़ी खुशी इस बात की भी थी कि पिछले साल सूखे के कारण फसल की जो बर्बादी हुई थी, उसकी भरपाई हो जायेगी। लेकिन, इस बार बाढ़ ने उनके साथ बड़ा छल कर दिया। इसी गांव के रामनरेश महतो कहते हैं कि इस साल उन्होंने तीन बीघे में धान की खेती की थी। सब-की-सब बर्बाद हो गयी। कुछ नहीं बचा सर। छोटे किसान और ऑटो रिक्शा चालक भोला महतो कहते हैं कि घर में तीन दिनों से दो फुट पानी था। चंूकि रात में अचानक पानी आ गया, इस कारण खाने-पीने के सामान से लेकर सबकुछ बर्बाद हो गया। खेतों में तीन से चार फुट पानी लगा है। कुछ भी बचने वाला नहीं है। इसबार तो दाने-दाने को मोहताज हो जाएंगे। इसी गांव के वार्ड-14 के लोगों का एक और दुख है। कई के घर बाढ़ में गिर गये हैं। जिनके बचे हैं, उनमें छाती भर पानी लगा है। वे सब लोग घर से भाग कर ढाका-मोतिहारी मुख्य रोड पर आ बसे हैं। उन्होंने अपना सारा सामान भी सड़क पर लाकर रख दिया है। मवेशियों को भी रोड पर ही बांध रखा है। बैजनाथ महतो, कलावती देवी, माला देवी बतातती हैं कि वे 17 तारीख से रोड पर ही जमे हैं। घरों में डुबाऊ पानी है। बच्चों को दुकान से बिस्किट और चूड़ा थोड़ा-बहुत खरीद कर खिला रहे हैं। मवेशी को जहां तक हो पा रहा है, केले और बांस के पत्ते खिला रहे हैं। उनका कहना है कि अभी तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। उधर, वार्ड पार्षद रामजनम महतो ने बताया कि केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह आये थे। उनके सौजन्य से वार्ड चौदह और पंद्रह में बाढ़ पीड़ितों के लिये खाना बनाया जा रहा है। लोगों को खाना समय से परोसा जा रहा है। इन गांवों की हालत है गंभीरबाढ़ से कुछ गांव, जो सड़क से काफी दूर हैं, उनकी हालत बेहद गंभीर है। हालांकि, वहां लोगों तक खाने के पैकेट भी मुहैया कराये जा रहे हैं। जाला, पटेरवा, लोकसा, गड़हिया, भेड़िहरवा,, रायसिंघा आदि गांवों की हालत ज्याद गंभीर है। वहां लोगों को घरों से निकालने और रसद-पानी पहुंचाने के लिये सेना की मदद ली जा रही है।

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