आखिर कैसे छोड़ देते गर्भवती महिला को
मोतिहारी-ढाका रोड पर बसतपुर पेट्रोल पंप के पास रांची से 237 रेजीमेंट मीडियम तोपखाना के अधिकारी और जवान लोगों की सेवा के लिये डटे हैं। दिन में रेजीमेंट के मुखिया कैप्टन अनिरूद्ध सिंह तक खबर पहंुचती है...
मोतिहारी-ढाका रोड पर बसतपुर पेट्रोल पंप के पास रांची से 237 रेजीमेंट मीडियम तोपखाना के अधिकारी और जवान लोगों की सेवा के लिये डटे हैं। दिन में रेजीमेंट के मुखिया कैप्टन अनिरूद्ध सिंह तक खबर पहंुचती है कि एक गांव में एक गर्भवती लेबर पेन से कराह रही है। पता करने पर वह गांव था रायसिंघा। वहां से लगभग दो से ढाई किमी दूर। मुख्य रोड पर लगभग दो से ढाई फुट पानी तेज रफ्तार में बह रहा था। रोड से उतरने पर कितना पानी है, इसका कुछ थाह-पता नहीं। कहीं खेत है तो कहीं सरेह और गड्ढा। लेकिन, तोपखाने के अधिकारियों और जवानों ने कहा कि कुछ भी हो महिला को गांव से निकालकर लाना जरूरी है। जब वे बोट पर सवार हुये तो लाख प्रयास के बाद भी मोटर चालू नहीं हुई। कुछ तकनीकी खराबी आ गई। अब समस्या ये हुई कि वहां कैसे पहुंचा जाय। कैप्टन अनिरूद्ध ने बताया कि उनलोगों ने चप्पू मार कर बोट से रायसिंघा गये और वहां से बचाकर प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को ले आये। उसे फिर अस्पताल पहंुचाया गया। तोपखाने का यह अधिकारी बताते हैं कि आखिर प्रेग्नेंट महिला को उस हालत में कैसे छोड़ दिया जाये। वह किसी को नया जीवन देने जा रही है। उन्होंने बताया कि चौदह अगस्त की दो बजे रात को वे लोग यहां रांची से पहंुचे हैं और पंद्रह से राहत कार्य में लगे हुये हैं। अब तक तीन प्रसूताओं को बाढ़ से घिरे उनके घरों से निकालकर बाहर लाया है। उन्होंने बताया कि सोलह से लेकर अठारह अगस्त तक घरों में फंसे लोगों को बाहर निकाला और राहत केंद्र पर पहंुचाया है। अब लोगों तक राहत समग्री पहुचांने का काम किया जा रहा है। कैप्टन ने बताया कि इस कार्य में रेजीमेंट के एक अफसर, दो जेसीओ और 36 जवान लगे हुये हैं। वे रामगढ़वा और ढाका में भी अपनी सेवा दे चुके हैं।