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बाढ़ का कहर: शौचालय की कमी से जूझ रही आधी आबादी

बाढ़ आई हुई है। लोग सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं। किसी उंचे मकान पर। तो किसी उंची जगह पर। बाढ़ में पुरुष शौच के लिए कहीं निकल भी जाते हैं। पर आधी आबादी का क्या? शौच के लिए वो कहां जाएं। जिस छत पर वो...

बाढ़ का कहर: शौचालय की कमी से जूझ रही आधी आबादी
हिन्दुस्तान टीम,मधुबनीMon, 21 Aug 2017 12:01 AM
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बाढ़ आई हुई है। लोग सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं। किसी उंचे मकान पर। तो किसी उंची जगह पर। बाढ़ में पुरुष शौच के लिए कहीं निकल भी जाते हैं। पर आधी आबादी का क्या? शौच के लिए वो कहां जाएं। जिस छत पर वो टिकी हैं, वहां भी परेशानी और नीचे तो पानी ही पानी है। शौचालय को लेकर उनकी इस परेशानी की ओर किसी का ध्यान भी नहीं है। लौकही में पानी बढ़ने के बाद जो महिलाएं शिविरों में रह रही हैं, वो बांध के ही किनारे शौच करने को मजबूर हैं। अब जब पानी घटने लगा है तो गंदगी और बदबू तेजी से बढ़ती जा रही है। बांध पर ही शरण लेनेवाली एक महिला ने कहा कि शौच की परेशानी पर कुछ मत पूछिये। ये एक ऐसी समस्या है, जिस ओर किसी का ध्यान नहीं है। हम लोग लज्जा के कारण किसी से इस विषय पर बात भी नहीं कर सकते हैं। बेनीपट्टी के त्रिमुहान के पास अपने घर से आकर सड़क पर रहनेवाली एक महिला ने बताया कि नई बहू हैं। कैसे रहेंगे। बाढ़ ने तो ऐसी परेशानी पैदा कर दी है कि क्या कहें। वहीं एक अन्य महिला उम्र दराज हैं। शौचालय पर बातें करते हुए नजरें नीचे कर लेती हैं। जब गांव की बुजुर्ग महिला का ये हाल है तो युवतियों और बहुओं को क्या परेशानी होगी, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। पूछने पर पता चला कि शौचालय का निर्माण डीआरडीए से होना है। लेकिन, इसकी गति इतनी धीमी है कि क्या कहें। जिला प्रशासन ने आपदा की जो सूची बनाई है, उसमें कहीं भी उल्लेख नहीं है कि कुल कितने शौचालय का निर्माण कराया गया है। जिले के सीएस डॉ. अमरनाथ झा ने कहा कि गंदगी के कारण डायरिया, लीवर में संक्रमण सहित अन्य रोग हो सकते हैं। इसके लिए इंतजाम किया जा रहा है। लेकिन शौचालय बनाना तो दूसरे विभाग की जिम्मेदारी है।

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